Babri Masjid Demolition Day : यह एक भावुक वीडियो है जिसमें अयोध्या के स्थानीय लोग, कारसेवक, पत्थर तराशने वाले कारीगर और एक मुस्लिम निवासी अपनी यादें साझा कर रहे हैं। कोई 1992 की बाबरी विध्वंस की बात करता है तो कोई राम मंदिर निर्माण की मेहनत। रामचरितमानस के अंतिम दोहे से शुरू होकर बात 6 दिसंबर 1992 के स्वतःस्फूर्त जन-आक्रोश, हनुमान की कृपा, कारसेवा, आज के रोज़गार और हिंदू-मुस्लिम साथ रहने तक जाती है। वीडियो में पुराने कारसेवक गर्व से बताते हैं कि ढांचा गिरना प्लानिंग से नहीं, भगवान की इच्छा से हुआ। वहीं एक मुस्लिम युवक कहता है – “हम सब भाईचारे से रहते हैं, नाम बदलने से जगह नहीं बदलती।” कुल मिलाकर यह अयोध्या के आम लोगों की ज़ुबानी 1990 से 2025 तक की यात्रा है – आक्रोश से उत्सव तक, आंदोलन से रोज़गार तक।
