नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, दावा किया कि आयोग न केवल निष्क्रिय है, बल्कि जानबूझकर वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़े को संरक्षण दे रहा है। कर्नाटक के आलंद और महाराष्ट्र के राजौरा में ताजा खुलासों में वोट काटने की साजिश का जिक्र है, जो पहले के वोट जोड़ने के आरोपों से अलग है। आलंद में, जहां कांग्रेस के बी.आर. पाटिल 2023 में 500 वोटों से हारे थे, चुनाव से पहले 6,000 से ज्यादा वोट काटने की ऑनलाइन अर्जियां आईं, ज्यादातर कांग्रेस समर्थक बूथों से। एक वोटर को पड़ोसी के नाम से फर्जी आपत्ति का पता चला, जिसने सॉफ्टवेयर आधारित हेराफेरी का खुलासा किया। कर्नाटक की सीआईडी ने जांच शुरू की, लेकिन चुनाव आयोग ने 18 बार अनुरोध के बावजूद जानकारी साझा नहीं की। पहले के मामले, जैसे कर्नाटक के महादेवपुरा में 1.25 लाख फर्जी वोट जोड़ने, पनवेल में 85,211 डुप्लिकेट वोट, और उत्तर प्रदेश के कुंदरकी में मुस्लिम बूथों पर सिस्टमैटिक वोट डिलीशन, भी बेनकाब हुए। बिहार में 65 लाख नाम कटे, और 16.9 लाख मकानों में 10 से ज्यादा वोटर दर्ज हैं, जिनमें 2.78 करोड़ संदिग्ध वोटर हैं। आश्चर्यजनक रूप से, 58% आपत्तियां वोटरों ने खुद अपने नाम पर कीं, जिसमें 555 ने खुद को “विदेशी” और 22 ने “मृत” बताया। राहुल गांधी का आरोप है कि यह सब एक संगठित “फर्जीवाड़े की फैक्ट्री” का हिस्सा है, जिसमें चुनाव आयोग की मिलीभगत संदिग्ध है। आयोग सूचना देने से बच रहा है, नियम बदल रहा है, और जवाबदेही से भाग रहा है। यह भारत की लोकतांत्रिक संस्था की साख पर सवाल उठाता है।