कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की निद्रा से जाग जाते हैं। ये देव के जागने यानी उठने की तिथि है, इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की निद्रा से जाग जाते हैं। ये देव के जागने यानी उठने की तिथि है, इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।
Loading…
Something went wrong. Please refresh the page and/or try again.

हस्तरेखा शास्त्र में भाग्य रेखा का महत्व बताया गया है। गहरी, स्पष्ट और लंबी भाग्य रेखा वाले भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें कम मेहनत में सफलता मिलती है। जीवन रेखा से शुरू होने वाली भाग्य रेखा मेहनत और धन-संपत्ति का प्रतीक है। मस्तिष्क रेखा से शुरू होने वाली भाग्य रेखा 35 साल की उम्र के बाद किस्मत चमकाती है। भाग्य रेखा का रुकना गलत निर्णयों का संकेत हो सकता है।