यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) द्वारा जारी होने वाला आधार बेहद ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है। आधार में एक कार्डधारक की बॉयोमेट्रिक और डेमोग्रॉफिक जानकारियां दर्ज होती हैं। इसके साथ ही हर यूजर को 12 अंकों का एक यूनिक नंबर भी दिया जाता है।
हाल में सरकार ने बैंकों को अपने ग्राहकों के खातों के खातों को 31 मार्च 2021 तक सभी आधार से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। वहीं अगर आपने पहले से बैंक खाते को आधार से लिंक करवाया हुआ है लेकिन आप चाहते हैं कि आपका बैंक खाता आधार से लिंक्ड न रहे तो आप आसानी से इसे डी-लिंक कर सकते हैं।
आधार डी-लिंक करवाने के लिए ग्राहकों को बैंक जाना होता है। वहां वे ग्राहक प्रतिनिधि से मिलकर ‘आधार अनलिंक’ फार्म लेकर भर दें और उसे वहीं जमा करवा दें। 48 घंटे के भीतर उनका आधार खाते से हट जाएगा। मालूम हो कि तमाम सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाला आर्थिक लाभ सरकार डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत लाभार्थियों के बैंक खाते में पहुंचाती है। डीबीटी के लिए बैंक खाते का आधार के साथ लिंक्ड होना जरूरी है।
वहीं यूआईडीएआई ई-आधार पर आधार नंबर छिपानी की भी सुविधा कार्डधारकों को देती है। अगर कोई यूजर अपना ई-आधार डाउनलोड करता है और उसमें अपना आधार नंबर छुपाना चाहता है तो छुपा सकता है। इस फीचर का इस्तेमाल करने के बाद आधार के बाद के चार नंबर दिखाई देते रहेंगे और पहले 8 नंबर छुप जाता हैं।
आधार लेटर की सॉफ्ट कॉपी को ई-आधार कहा जाता है। यह भी आधार लेटर की तरह ही मान्य होती है। इसका फायदा यह है कि कार्डधारक को हमेशा अपने साथ फिजिकल कॉपी लेकर चलने की परेशानी से छुटकारा मिल जाता है।