Voluntary Provident Fund: भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए सरकारी या प्राइवेट कर्मचारियों रिटायरमेंट फंड के लिए निवेश करते हैं। रिटायरमेंट के बाद आपने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) और इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन क्या आपने वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) यानी वीपीएफ के बारे में सुना है। आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं।
वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड स्वेच्छा से किया गया निवेश है। जो कर्मचारी इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड में स्वेच्छा से जो निवेश करते हैं वह वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड कहलाता है। वीपीएफ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ही एक नई योजना है। यानि स्वेच्छा से किया गया एक्सट्रा निवेश इसी फंड में जाता है।
अपनी इच्छा से वेतन का कोई भी हिस्सा खाते में जमा कर सकते हैं लेकिन शर्त है कि यह सरकार की तरफ से तय की गई 12 प्रतिशत पीएफ की अधिकतम सीमा से ज्यादा हो। इसमें आपक कितना भी निवेश कर सकते हैं यानि इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं। कर्मचारी चाहे तो मूल वेतन और डीए का 100 प्रतिशत कॉन्ट्रिब्यूशन कर सकता है।
खास बात यह है कि इसमें मिलने वाला ब्याज ईपीएफ की ब्याज दर जैसा ही है। वीपीएफ की ब्याज दर में सालाना आधार पर बदलाव किया जाता है। वीपीएफ में किए गए निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है। हालांकि इसमें निवेश करने पर जमा होने वाली रकम पर कुछ कठोर शर्तें है मसलन इसमें पूरा पैसा सिर्फ रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है।