कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल लेनदेन के बढ़ने से साइबर फ्रॉड के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ। अब ठगी करने के लिए अपराधी नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं, इस स्थिति में कई ऐसे कॉर्पोरेट और व्यक्तियों द्वारा किसी भी गोपनीय डेटा को लेकर होने वाले वित्तीय नुकसान से खुद को बचाने के लिए साइबर बीमा पॉलिसियों का चयन किया जा रहा है।
साइबर इंश्योरेंस एक प्रकार का कवर है, जो बिजनेस और व्यक्तियों को मालवेयर अटैक, फिसिंग, पहचान की चोरी और सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाता है।
आनंद राठी इंश्योरेंस ब्रोकर्स के सीईओ और प्रधान अधिकारी राजेश कुमार शर्मा के अनुसार, महामारी के बाद साइबर बीमा को गति मिली है, क्योंकि ई-लेनदेन की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही साइबर धोखाधड़ी का खतरा भी तेज है। इस कारण न केवल कॉरपोरेट्स द्वारा बल्कि खुदरा ग्राहकों द्वारा भी साइबर बीमा की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों की बात करें तो कुल भुगतान में डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2012 के अंत में बढ़कर 96.32 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2010 में 95.4 प्रतिशत थी। आरबीआई डिजिटल पेमेंट इंडेक्स, जो डिजिटल भुगतान को ट्रैक करता है, मार्च 2022 में एक साल पहले 270.59 अंक से 349.3 अंक के हाई लेवल पर पहुंचा है, इस दौरान इसने 29.08 फीसदी की बढ़ोतरी हासिल की है।
गौरतलब है कि फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने पिछले साल व्यक्तियों के लिए एक मॉडल साइबर बीमा पॉलिसी के लिए दिशानिर्देश जारी किया था, जिसका पालन करने के लिए बीमाकर्ताओं और अन्य लोगों को एक्सपर्ट की ओर से सलाह दी जाती है।
इस दिशानिर्देश के अनुसार, एक व्यक्ति को साइबर-बीमा पॉलिसी खरीदनी चाहिए, क्योंकि उसके धन से लेकर बचत तक साइबर हमले के कारण कुछ भी और सब कुछ खो जाने की संभावना होती है, ऐसे में यह बीमा कवर आपकी मदद कर सकता है। यह बीमा कवर सस्ती दर पर भी उपलब्ध हैं।
आरआईए इंश्योरेंस ब्रोकर्स के निदेशक एसके सेठी के मुताबिक, अगर आप साइबर बीमा का लाभ उठाना चाहते हैं तो यहां फाइनेंस संस्थाओं और अन्य बीमा कंपनियों से ले सकते हैं। यह अन्य बीमा कंपनियों द्वारा भी पेश किया जाता है और इनमें से कुछ टाटा एआईजी, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और न्यू इंडिया इंश्योरेंस हैं।