क्रेडिट कार्ड उस वक्त किसी भी शख्स की जरुरत को पूरा करता है जब अचानक पैसों की जरुरत पड़ जाए और जेब में उतनी राशि मौजूद न हो। अक्सर वे लोग जिनके पास क्रेडिट कार्ड नहीं होता वे अपने दोस्तों या रिश्तेदारों, या फिर बैंक से लोन लेकर अपने अटके काम को पूरा करते हैं। क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल, उसकी लिमिट, बैंक किसी को क्रेडिट कार्ड जारी करे या नहीं ये सभी सिविल रिपोर्ट और सिविल स्कोर पर निर्भर करती है। इसके अलावा बैंक किसी खाताधारक को लोन दे या नहीं यह भी इन दोनों पर निर्भर करता है।
सबसे पहले बात करते हैं सिबिल स्कोर की। इसमें किसी भी ग्राहक के कर्ज के भुगतान के बारे में एनालिसिस होता है। इसमें यह देखा जाता है कि लोन का पेमेंट तय टाइम लिमिट में किया गया है या नहीं, पेमेंट से कितने बार चूके, इसके साथ ही ब्याज का भुगतान किया गया है या नहीं।
सिबिल स्कोर में तीन अंको का जिक्र होता है। इससे यह पता चलता है कि लोन का पेमेंट टाइम से किया गया है या नहीं, आप कभी लोन से चूके तो नहीं, आपने ब्याज का भुगतान पूरा किया है। आपके क्रेडिट कार्ड से जुड़ी हर जानकारी सिबिल स्कोर में होती है। अगर इनमें से किसी भी एक प्वाइंट पर बैंक नाराजगी जाहिर करते हैं तो लोगों को भविष्य में किसी तरह की आर्थिक मदद करने से इनकार कर दिया जाता है। या फिर बैंक कार्डधारक की क्रेडिट लिमिट को कम कर देते हैं।
अपने क्रेडिट स्कोर को अच्छी स्थिति में रखने के लिए, अपना लोन और क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर और पूरी तरह चुकाना जरूरी है। क्रेडिट कार्ड का बिल बकाया रखने पर, आपको सिर्फ जुर्माना और बहुत ज्यादा ब्याज ही नहीं देना पड़ेगा बल्कि आपका क्रेडिट स्कोर भी कम हो जाएगा।
वहीं बात करें सिविल रिपोर्ट की तो बैंक द्वारा आपके बीते कई महीनों के पेमेंट के भुगतान के बारे में जाना जाता है या यूं कहे कि सिविल स्कोर का सीधा संबंध आपकी क्रेडिट हिस्ट्री से है। इसमें खाताधारक की पर्सनल जानकारी, नौकरी से जुड़ी जानकारी, पता, फोन नंबर, ई-मेल आईडी और क्या खाताधारक पर कोई कर्ज बाकी है या नहीं इसकी जानकारी होती है।