उत्तराखंड में सीमांत गांवों को विकसित किए जाने और सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने के लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) के बीच अनुबंध साइन किया गया है।
इस अनुबंध के मकसद भारत सरकार के फ्लैगशिप प्रोजेक्ट वाईब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमावर्ती क्षेत्र के गांव के ऑल राउंड डेवलपमेंट को प्राथमिकता देना है और ग्रामीणों की इनकम को ध्यान में रखकर रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराना है। इस पहल के तहत जहां एक ओर राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
रुकेगी पलायन की समस्या, हैली सेवाओं को होगा विस्तार
इस पहल के तहत राज्य सरकार दूरस्थ गतंव्यों में भारत सरकार की वाईब्रेंट विलेज योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय निवासियों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में कार्य करेगी। उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद द्वारा सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने के लिए सीमांत क्षेत्रों में हैली सेवाओं का विस्तार भी किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड के सीमांत क्षेत्र में प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल जैसे कि आदि कैलाश, ओम पर्वत, तिम्मरसैंण महादेव इत्यादि स्थित हैं जहां दुर्गम रास्तों के कारण पर्यटकों को पहुंचने में असुविधा होती है। इन सभी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पर्यटकों को हैली सुविधा उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें भारत – तिब्बत सीमा पुलिस बल के कार्यक्षेत्र में उपलब्ध हैलीपैड का उपयोग किया जाएगा।
आपात स्थिति में भी मिलेगा हैली सेवा का फायदा
इसके अलावा वाईब्रेंट विलेज में रहने वाले ग्रामीणों को आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता पड़ने पर दवाइयां उपलब्ध करवाने एवं हैली सेवा द्वारा हायर सेंटर ले जाने हेतु भी इन हैलीपैड्स का उपयोग किया जाएगा। उत्तराखण्ड में तीन सीमांत जनपदों (उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़) में भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल की अग्रिम चौकियों में तैनाती है।