उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क हादसों में घायलों को समय पर इलाज देने और उनकी जान बचाने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की है। अब सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। यह योजना सड़क सुरक्षा और घायलों के जीवन बचाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। सड़क दुर्घटनाओं में अधिकतर मौतें समय पर इलाज न मिलने के कारण होती हैं। खासतौर पर नेशनल हाईवे पर हादसों के बाद सहायता मिलने में देरी होने से स्थिति गंभीर हो जाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में देशभर में 1.68 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए। इनमें से कई की जान समय पर इलाज न मिलने के कारण गई।

चिंताजनक बनी हुई है हादसों में मौतों की संख्या

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट से पता चलता है कि सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों का आंकड़ा हर साल चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। 2018 में 4,70,403 हादसों में 1,57,593 लोगों की जान गई, जबकि 2019 में 4,56,959 हादसों में यह संख्या 1,58,984 तक पहुंच गई। कोविड महामारी के दौरान 2020 में हादसे घटकर 3,72,181 हुए, लेकिन फिर भी 1,38,972 लोगों की मौत हुई। 2021 में हादसे 4,12,432 तक बढ़े और इनमें 1,53,972 मौतें दर्ज हुईं। 2022 में 4,61,312 सड़क हादसों में 1,68,491 लोगों की जान गई, जो यह दर्शाता है कि सड़क सुरक्षा के प्रयासों के बावजूद हादसों में कमी नहीं आ रही है।

क्या है सरकार की गोल्डन आवर पॉलिसी योजना

सरकार ने गोल्डन आवर पॉलिसी लागू की है। गोल्डन आवर का मतलब है, हादसे के बाद का पहला एक घंटा, जो घायल व्यक्ति की जान बचाने में सबसे अहम होता है। इस योजना के तहत:

  • घायलों को 1.5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलेगा।
  • घायल व्यक्ति को सात दिन तक अस्पताल में मुफ्त भर्ती की सुविधा दी जाएगी।
  • जो भी पहले पूरा होगा, उसकी लागत सरकार वहन करेगी।

यदि कोई घायल व्यक्ति आयुष्मान कार्ड धारक है, तो वह आयुष्मान योजना से जुड़े किसी भी अस्पताल में मुफ्त इलाज करवा सकता है। यह सुविधा दुर्घटनाओं में गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए राहत साबित हो रही है।

नेशनल हाईवे पर हादसों के लिए विशेष सुविधा

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने हाईवे पर होने वाले हादसों के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर 1033 शुरू किया है। हादसे की सूचना 1033 पर कॉल करके दी जा सकती है। घायल को एनएचएआई से जुड़े अस्पताल में ले जाया जाएगा। 30,000 रुपए तक के इलाज का खर्च नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया उठाएगी। यदि इलाज की लागत इससे अधिक होती है, तो बाकी खर्च मरीज या उसके परिवार को वहन करना होगा।

यह योजना केवल तभी सफल हो सकती है, जब लोग दुर्घटनाओं में घायलों की मदद के लिए आगे आएं। हादसे की स्थिति में समय पर मदद और सरकार की इस सुविधा का लाभ उठाना घायलों की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल सड़क हादसों के बाद इलाज में देरी से होने वाली मौतों को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर आप किसी हादसे के गवाह बनते हैं, तो तुरंत मदद करें और हेल्पलाइन नंबर 1033 पर जानकारी दें।