टू-व्हीलर का इंश्योरेंस खरीदने के बाद ज्यादातर पॉलिसीहोल्डर सोचते हैं कि, उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। हालांकि इंश्योरेंस सेक्टर के एक्सपर्ट का कहना है कि, इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना सिर्फ आधा काम है और पॉलिसीहोल्डर को समझना चाहिए कि, इंश्योरेंस क्लेम को ठीक से निपटाना दूसरा काम। प्रोबस इंश्योरेंस के डायरेक्टर राकेश गोयल के अनुसार, टू-व्हीलर का क्लेम करते समय पॉलिसी के डॉक्यूमेंट को अच्छी तरह से चेक करना चाहिए। इसके साथ ही इंश्योरेंस पॉलिसी किन चीजों को कवर करती है। इसके बारे में भी समझना जरूरी है। आइए जानते हैं किन वजहों से टू-व्हीलर के इंश्योरेंस क्लेम ज्यादा संख्या में निरस्त होते हैं।
नियम तोड़ने की वजह से क्लेम रिजेक्ट होना – कई बार देखने में आता है कि, लोग बिना ड्राइविंग लाइसेंस के ही ड्राइव करना शुरू कर देते हैं। ऐसी स्थिति में अगर एक्सीडेंट होता है तो इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर देती है। इसके अलावा बहुत से लोग ड्रक ड्राइव भी करते हैं। जिस वजह से इंश्योरेंस कंपनी एक्सीडेंट होने पर किए गए क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं। ऐसे में जब भी आप टू-व्हीलर ड्राइव करें तो वैलिड दस्तावेज के साथ ही ड्राइविंग करें।
पॉलिसी का प्रीमियम देने में देरी – टू-व्हीलर इंश्योरेंस के क्लेम रिजेक्ट होने में सबसे बड़ी वजह पॉलिसी का प्रीमियम समय पर नहीं देना भी एक वजह होता है। कई बार व्हीकल ओनर समय पर अपनी टू-व्हीलर की इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्यू नहीं कराते इस वजह से भी इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं। इसके अलावा इंश्योरेंस क्लेम करते समय सही जानकारी छुपाने पर भी आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
टू-व्हीलर को मॉडिफाई कराना – युवा स्पोर्ट्स बाइक को मॉडिफाई कराते है। जिसके लिए आरटीओ से अनुमति लेना जरूरी होता है। लेकिन कई क्लेम में देखा गया है कि, बाइक या स्कूटर मॉडिफाई तो होते हैं लेकिन इनके लिए जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी नहीं की होती। इस वजह से भी इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर सकती हैं।
ओनरशिप ट्रांसफर नहीं करना – टू-व्हीलर मालिक कई बार अपने वाहन को बिना ओनरशिप ट्रांसफर किए ही बेच देते हैं। इस स्थिति में अगर कोई एक्सीडेंट या क्लेम किया जाता है तो इंश्योरेंस कंपनी उसे रिजेक्ट कर देती हैं। इसलिए जब भी आप पुराना वाहन बेचें या खरीदें तो उसकी ओनरशिप जरूर ट्रांसफर करा लें। क्योंकि वाहन की ओनरशिप ट्रांसफर होने के साथ इंश्योरेंस भी नए ओनर के नाम ट्रांसफर हो जाता है।
