पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) कई दशकों से निवेश के लिए बेहतरीन विकल्प रहा है। कम जोखिम से लेकर अधिक रिस्क लेने वाले निवेशकों के बीच यह खासा मशहूर रहा है। ऐसा तीन प्रमुख कारणों से है। पहला- पीपीएफ में निवेश की गई रकम और उसके ब्याज मिलने की गारंटी सरकार देती है। दूसरा- मिलने वाला ब्याज कर मुक्त होता है और तीसरा- निवेश की गई रकम के कारण टैक्स में छूट मिलती है। हालांकि, पीपीएफ में निवेश करने से पहले कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिन्हें जानना बहुत जरूरी है। जानिए इससे जुड़े वे तीन फैक्ट्स, जिनके न पता होने पर खाताधारक को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

अनियमित हो सकता है पीपीएफ खाताः यह खाता चार कारणों से अनियमित हो सकता है-

1- पीपीएफ नियमों के मुताबिक, एक व्यक्ति को अपने नाम से एक से अधिक खाता खुलवाने की अनुमति नहीं होती है। अगर वह ऐसा करता है और पोस्ट ऑफिस को यह बात पता लग जाती है, तब उसका दूसरा खाता अनियमित कर दिया जाता है। व्यक्ति के मूल खाते से उसका विलय कराना होता है। हालांकि, अभिभावक के नाते वह शख्स अपने नाबालिग बच्चे के नाम पर दूसरा पीपीएफ खाता खुलवा सकता है।

2- डेढ़ लाख रुपए से अधिक रकम जमा करने पर पीपीएफ खाता अनियमित कर दिया जाएगा। यही नहीं, खाताधारक की रकम भी बगैर ब्याज के वापस लौटा दी जाती है। एक वित्त वर्ष में अपने और नाबालिग बच्चे के नाम पर पीपीएफ खातों में जमा कराई गई कुल रकम 1.5 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।

3- पीपीएफ खाते के एक्सटेंशन पीरियड (15 साल की मैच्योरिटी के बाद) के बाद भी अगर आप बगैर पोस्ट ऑफिस को सूचित किए उसमें रकम जमा करेंगे, तब उन पैसों को अनियमित माना जाएगा। उन्हें भी बगैर ब्याज के वापस कर दिया जाएगा।

4- पीपीएफ खाते में संयुक्त अधिकार (एक साथ दो लोगों को संचालन का) का प्रावधान नहीं होता। हालांकि, इसमें नॉमिनेशन की सुविधा दी जाती है।

मैच्योरिटी से पहले कैसे बंद होता है खाता, कितनी कटती है रकम?: पीपीएफ कुछ सालों से आंशिक निकासी और ऋण की सुविधा मुहैया करा रहा है। खाते में बैंलेंस के आधार पर लोन की सुविधा देने या फिर न देने का फैसला लिया जाता है। 2016 में इससे जुड़े नियमों में संशोधन हुआ था, जिसमें यह खाता खोलने के पांच साल बाद इसे बंद करने का विकल्प दिया गया। हालांकि, यह सुविधा सिर्फ बेहद गंभीर स्थितियों के दौरान ही मिलती है। मसलन खाताधारक की गंभीर बीमारी, पत्नी या आश्रितों के लिए पैसे की जरूरत और बच्चों की पढ़ाई इसमें हैं। मैच्योरिटी से पहले खाता बंद कराने पर कुछ रकम भी काटी जाती है, जो कि ब्याज दर (समय-दर-समय बदलती रहती है) से लगभग एक फीसदी कम होती है।

खाता ‘बंद’ होने पर ऐसे दोबारा करें चालूः खाता सक्रिय रखने के लिए प्रत्येक वित्त वर्ष में पीपीएफ खाताधारक को न्यूनतम 500 रुपए जमा करने पड़ते हैं। ऐसा न करने पर खाता निष्क्रिय हो जाता है और उसे अस्थाई रूप से बंद (डिसकंटीन्यू) समझा जाता है। हालांकि, उस दौरान बैलेंस पर ब्याज बनता है और उसे मूल रकम के साथ मैच्योर होने पर पाया जा सकता है। मगर खाता निष्क्रिय हो जाने पर उसे दोबारा चालू कराने के लिए जुर्माना चुकाना पड़ता है। एक वित्त वर्ष में पैसे जमा न करने पर 50 रुपए की पेनाल्टी व 500 रुपए एरियर के लिए देनी पड़ते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कोई इस खाते में 5 साल तक रकम नहीं जमा करेगा, तो उससे 250 रुपए की पेनाल्टी देनी पड़ेगी। इसके अलावा जिस वर्ष में खाता चालू किया, उसके लिए भी 500 रुपए की रकम वसूली जाती है।