नौकरी करते हुए आपको कई साल बीत गए हैं। लेकिन सेविंग के नाम पर आपके खाते में जीरो बैलेंस है। तो फिर आपके लिए ये परेशानी की बात है। दरअसल देश में बहुत से लोग महीने के शुरू में सैलरी मिलने के बाद जरूरी खर्चों के नाम पर पूरी सैलरी खर्च कर देते हैं और फिर महीने के आखिर में उनके पास सेविंग के नाम पर कुछ भी नहीं बचता। ऐसा आम तौर पर ज्यादातर लोगों के साथ होता है। क्योंकि उन्हें सेविंग का सही फॉर्मूला नहीं पता। ऐसे में हम आपको सेविंग से जुड़ा एक्सपर्ट का फॉर्मूला बताने जा रहे हैं। जिसके जरिए आप सभी खर्चों को पूरा करने के बाद महीने के आखिर में ठीक-ठाक सेविंग कर सकते हैं।
सेविंग के लिए जरूरी काम – सेविंग शुरू करने के लिए इससे पहले कुछ काम करना जरूरी होता है। जैसे आपको मानसिक तौर पर तैयार होना होता है कि, आपको हर महीने के खर्चों में कटौती भी करनी पड़े तो आप इससे हिचकेगे नहीं। साथ ही जो पैसा महीने के आखिर में बचाया है। उसे अगले महीने किसी भी कीमत पर खर्च नहीं करेंगे। वहीं एक्सपर्ट ने इसके लिए 50:30:20 का फॉर्मूला तैयार किया है। जो आपकी सेविंग में काफी मदद कर सकता है। आइए जानते है आखिर क्या है 50:30:20 का फॉर्मूला।
सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा यहां खर्च करें – 50:30:20 के फॉर्म्युले के अनुसार आपको अपनी सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा जरूरी चीजों पर खर्च करना चाहिए। जैसे अगर आप रेंट पर रहते है तो हाऊस रेंट, बिजली का बिल, घर का राशन, बच्चों की फीस, दूसरे बिल का भुगतान आपको अपनी सैलरी के 50 फीसदी हिस्से में पूरे करने चाहिए।
सैलरी का 30 फीसदी हिस्सा यहां करें खर्च – आपको बची हुई 50 फीसदी सैलरी को दो हिस्सों में करना चाहिए। जिसमें से आप 30 फीसदी हिस्से को अपने मनोरंज, बाहर खाना या दूसरे ऐसे काम जिससे आपका क्वालिटी टाइम स्पेंड हो पर खर्च करना चाहिए। लेकिन यहां आपको इस बात का ध्यान रखना है कि, ये खर्च सैलरी के 30 फीसदी हिस्से से ज्यादा नहीं होने चाहिए।
बची हुई सैलरी होगी आपकी सेविंग – बची हुई 20 फीसदी सैलरी आपकी महीने की बचत होगी। जिसे आप SIP, NSC और बैंक की मंथली डिपॉजिट स्कीम में जमा कर सकते है। आपको बता दें सेविंग के लिए कई दूसरी स्कीम भी है जिनमें आपको 7 फीसदी तक ब्याज मिलता है।