केंद्र सरकार की ओर से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन का लाभ देने के लिए प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना (PM-SYM Scheme) की शुरूआत की गई थी। जिसके तहत 2021 से 2022 सत्र के लिए एक करोड़ लोगों को जोड़ने का टार्गेट रखा गया था, लेकिन इस योजना के तहत सिर्फ 1.6 लाख लोग ही जुड़ सके।

वहीं इस साल के 31 मार्च तक मानधन योजना को लॉन्‍च किए जाने के तीन साल बाद असंगठित क्षेत्र के 38 करोड़ लाभार्थियों में से केवल 46.56 लाख ने पीएम-एसवाईएम में रजिस्‍ट्रेशन कराया है। सरकार ने इस धीमी गति के लिए कोरोना महामारी का हवाला दिया है।

कब शुरू हुई थी योजना
केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने मार्च 2019 में PM-SYM योजना की शुरूआत की थी। जिसके बाद वित्त वर्ष 2018-19 में 27.72 लाख लोगों ने योजना के लिए पंजीकरण कराया। जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में नामांकन कराने वालों की संख्या घटकर 15.9 लाख हो गई। इसके साथ ही यह संख्‍या 2020-21 में घटकर 1.3 लाख और 2021-22 में 1.6 लाख रह गई है।

सरकार ई-श्रम कार्ड धारकों से कर रही आग्रह
वहीं सरकार अब ई-श्रम पोर्टल से जुड़े 27 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को मैसेज भेजकर प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना से जुड़ने के लिए आग्रह कर रही है। बता दें किस असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को एक जगह पर लाने कोरोना काल के दौरान ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इसके तहत अभी तक 27 करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है, जिसमें सबसें अधिक उत्तर प्रदेश के श्रमिक शामिल हैं।

क्‍या है मानधन योजना और क्‍या मिलता है लाभ
पीएम-एसवाईएम 60 वर्ष की आयु के बाद श्रमिकों को 3,000 रुपये की मासिक पेंशन देती है। इसके तहत 18 से 40 वर्ष के बीच के श्रमिक लाभ उठा सकते हैं। 18 वर्ष के सदस्‍यों के लिए योगदान 55 रुपये प्रति माह, जबकि 29 वर्ष के श्रमिकों के लिए 100 रुपये और 40 वर्ष के लोगों के लिए हर महीने 200 रुपये जमा करना होता है। PM-SYM के तहत, केवल नामांकन करने वाला व्यक्ति और उसकी पत्नी/पति ही पेंशन प्राप्त करने कर सकते हैं। दोनों की मृत्यु होने की स्थिति में बची हुई राशि सरकार के पेंशन कोष में जमा हो जाती है।