प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी भी ईपीएफओ की ईपीएस स्कीम का फायदा उठा सकते हैं। दरअसल इसके लिए उन्हें जॉब बदलने पर अपने पीएफ खाते के पैसे को निकालने के बजाय उसे पुरानी कंपनी से नई कंपनी के खाते में ट्रांसफर कराना होगा। पीएफ ट्रांसफर से ईपीएफ के सदस्य ईपीएस (एम्पलॉइज पेंशन स्कीम) के सदस्य बन सकते हैं। खास बात ये है कि पीएफ ट्रांसफर की रकम पर इन्कम टैक्स की छूट भी मिलती है। यदि कोई कर्मचारी 5 साल की समयसीमा से पहले पीएफ का पैसा खाते से निकाल लेता है तो उस रकम पर उसे टैक्स देना होगा।

क्या है ईपीएस के फायदे लेने की योग्यताः यदि कोई कर्मचारी 10 साल या उससे ज्यादा समय तक नौकरी करता है और 58 साल की उम्र में रिटायर होता है तो उसे पेंशन स्कीम का फायदा मिलेगा। यदि कोई व्यक्ति 58 साल की उम्र से पहले रिटायर हो जाता है, लेकिन उसने 10 साल या उससे ज्यादा समय तक नौकरी की है, तो वह व्यक्ति भी पेंशन पाने का हकदार है। पेंशन स्कीम के तहत सदस्यों की मासिक पेंशन की गणना उनकी पेंशन सैलरी और नौकरी के साल की गुणा करने के बाद उसे 70 से भाग देने पर मिले आंकड़ों के बराबर होती है।

पेंशन सैलरी की कैसे होती है गणना?: पेंशन सैलरी की गणना सेवा के पांच साल तक की औसत मासिक सैलरी के आधार पर की जाती है। नियमों के अनुसार, किसी कर्मचारी की अधिकतम पेंशन सैलरी 15000 रुपए मासिक ही हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति की पेंशन सैलरी 15 हजार रुपए और सर्विस का समय 20 साल है तो उस व्यक्ति को 2 साल का वेटेज दिया जाता है। इस तरह उस व्यक्ति की मासिक पेंशन 15,000X22/70 के आधार पर 4,714 रुपए होगी। इसलिए यदि आप प्राइवेट सेक्टर में हैं और नौकरी बदल रहे हैं तो अपने पीएफ खाते को ट्रांसफर कराए, ताकि रिटायरमेंट के बाद पेंशन का फायदा ले सकें।