आयकर जमा करने का समय नजदीक आ रहा है। ऐसे में यह जानना जरुरी है कि सैलरी के अलावा आपको मिलने वाली किस रकम पर टैक्स लगेगा और किस पर नहीं। सैलरी के अलावा आपके खाते में कई बार ई-वॉलेट, कैशबैक आदि द्वारा रकम जमा होती है। आइए जानते हैं कि इस तरह का लेन-देन टैक्स के दायरे में आता है या नहीं।
ई-वॉलेट पर मिलने वाली रकमः आज डिजिटल लेन-देन का समय है और ई-वॉलेट के जरिए बड़ी संख्या में लोगों के खाते में पैसों का आदान-प्रदान होता है। ऐसे में यदि कभी किसी दोस्त ने आपके खाते में रकम भेजी तो क्या उस पर टैक्स लगेगा? इकॉनोमिट टाइम्स वेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, ई-वॉलेट के जरिए मिलने वाली 50 हजार तक की रकम पर टैक्स नहीं लगता है। हालांकि इससे ज्यादा की रकम पर टैक्स लगेगा। यदि रकम कर्ज की वापसी के तौर पर आयी है तो इस पर टैक्स नहीं लगेगा। यदि आयकर विभाग द्वारा इस संबंध में पूछताछ की जाती है तो आपको इसके लिए कर्जदाता से लिखित में लेकर इसे आयकर विभाग को देना पड़ेगा।
बचत खाते और फिक्सड डिपोजिट पर मिलने वाला ब्याजः बचत खाते या फिकस्ड डिपोजिट पर मिलने वाले ब्याज की 10,000 तक की रकम टैक्स के दायरे से बाहर है। ब्याज की इस रकम को आयकर विभाग ‘अन्य स्त्रोतों से आय’ मानता है, जिस पर ब्याज देना होता है। वरिष्ठ नागरिकों को इसमें थोड़ी छूट दी गई है। छूट के तहत वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर मिलने वाले 50 हजार तक के ब्याज को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है।
कैशबैक से मिलने वाली रकमः ई-कॉमर्स सेवाओं के इस्तेमाल के दौरान डिजिटल पेमेंट करने पर कई बार कंपनियां कैशबैक की सुविधा देती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कैशबैक की रकम टैक्स के दायरे में आती है, तो बता दें कि नियमों के अनुसार, यदि कैशबैक से मिली कुल रकम एक वित्तीय वर्ष में 50,000 से ज्यादा बैठती है तो फिर व्यक्ति को इस पर टैक्स देना होता है।