यदि आप अभी भी नॉन-सीटीएस चेक का इस्तेमाल कर रहे हैं तो संभल जाइए, क्योंकि 1 जनवरी, 2019 से ये चेक कई बैंकों द्वारा क्लीयर नहीं किए जाएंगे और इनके बाउंस होने की आशंका काफी बढ़ जाएगी। एसबीआई और पीएनबी सहित अधिकतर बैंकों ने इस संबंध में अपने ग्राहकों को पहले से ही सूचित कर दिया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि ‘रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार, नॉन-सीटीएस चेक को क्लीयर करने की सीमा घटाकर 1 सितंबर, 2018 से एक माह में सिर्फ एक बार कर दी गई थी। यह क्लीयरेंस हर महीने के दूसरे बुधवार को होती है। लेकिन 31 दिसंबर, 2018 के बाद से इस तरह के चेक बैंक में स्वीकार नहीं किए जाएंगे। नॉन सीटीएस चेक को CTS-2010 चेक से रिप्लेस करने के लिए अपनी होम ब्रांच से संपर्क करें।’ पीएनबी ने भी एक एडवाइजरी जारी कर ऐसी ही जानकारी दी है।

क्या है Non-CTS और CTS-2010 चेक में अंतरः नॉन सीटीएस चेक में एक इमेज बेस्ड क्लीयरिंग सिस्टम नहीं पाया जाता है। जिसके चलते इन चेक को प्रोसेस करने में काफी वक्त लगता है। इस कमी को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने CTS-2010 चेक जारी किए थे। सीटीएस-2010 चेक में सिक्योरिटी फीचर्स ज्यादा होते हैं। इन चेक पर मौजूद ऑप्टिकल इमेज को कैरेक्टर रिकोग्निशन टेक्नोलॉजी की मदद से प्रोसेस किया जाता है।

क्या है सीटीएस-2010 चेक से फायदाः सीटीएस-2010 चेक को क्लीयर करने के लिए फिजिकली चेक प्रोसेस की जरुरत नहीं होती है। जिसके चलते इन चेक को क्लीयर करने में कम समय लगता है। कलेक्शन प्रोसेस में तेजी आने से बैंकों की कस्टमर सर्विस बेहतर होती है। इसके साथ ही खतरा भी कम होता है। पैसा बाजार डॉट कॉम के पेमेंट प्रोडक्ट हेड साहिल अरोरा का कहना है कि ‘यदि चेक कलेक्ट करने वाला बैंक और पेमेंट करने वाला बैंक अलग-अलग शहरों में स्थित हैं तो सीटीएस-2010 चेक में सीटीएस ग्रिड की मदद से उन्हें नॉन सीटीएस चेक की तुलना में तेजी से क्लीयर किया जा सकता है।’ ऐसे में लोगों को सलाह है कि वह 31 दिसंबर से पहले अपने नॉन सीटीएस चेक को सीटीएस-2010 चेक से बदल लें और किसी भी संभावित परेशानी से बचें।