नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) फिक्स इनकम इंस्ट्रूमेंट होते हैं और आमतौर पर इन्हें बड़ी कंपनियां जारी करती हैं। इनके जरिए लाभ पाने का बढ़िया होता है। यह कुछ हद तक फिकस्ड डिपॉजिट (एफडी) जैसे होते हैं, जबकि इनसे 24 महीने के निवेश पर 8.25 फीसदी तक ब्याज पाया जा सकता है।
आप इस वक्त दो कंपनियां में इस वक्त निवेश कर अच्छा लाभ पा सकते हैं। ये दोनों इंडिया इंफोलाइन (IIFL) और जेएम फाइनेंशियल ने एनसीडी लेकर आई हैं। आईआईएफएल का एनसीडी 18 अक्टूबर को बंद होगा, जबकि जेएम वाला 14 अक्टूबर को क्लोज होगा। वैसे, ध्यान देने वाली बात है कि ऐसे इन्वेस्टमेंट में जोखिम भी होता है, जो कि पूरी तरह से बाजार पर निर्भर करता है। ऐसे में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार या इस मसले के जानकार से परामर्श के बाद ही इस बाबत आगे बढ़ना चाहिए।
वित्तीय सलाहकारों के मुताबिक, “इन्वेस्टर्स अपने निवेश का 10 से 20 फीसदी हिस्सा पांच साल के लिए इन्वेस्ट कर सकते हैं।” जेएम फाइनैंशियल ने इस्वेस्टमेंट के लिए 39 माह, 60 माह और 100 माह का वक्त रखा है। 60 माह पर वह 8.2 फीसदी और 100 माह पर 8.3 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा।
वहीं, आईआईएफएल फाइनेंस 24 माह के निवेश पर 8.25 प्रतिशत, 36 महीने के इन्वेस्टमेंट पर 8.5 फीसदी और 60 माह के निवेश पर 8.75 ब्याज देगी। अच्छी बात यह है कि इन दोनों ही कंपनियों की ब्याज दर बैंकों की एफडी के मुकाबले 70 से 80 फीसदी ज्यादा है।
क्या आपको करना चाहिए निवेश?: आईआईएफएल फाइनेंस के पास ऋण उत्पादों और उधारकर्ताओं का एक विविध पोर्टफोलियो है। पिछले तीन से चार वर्षों में कंपनी 2019 के बाद से अपनी गोल्ड लोन बुक को दोगुना करने में सक्षम रही है। इसके माइक्रोफाइनेंस ऋण भी तेज गति से बढ़े हैं। गोल्ड लोन आमतौर पर सुरक्षित होते हैं और इसलिए लोन पोर्टफोलियो को संतुलित करने में मदद करते हैं। प्रॉसपेक्टस में ब्यौरे के अनुसार, लगभग 86 प्रतिशत ऋण पुस्तिका पर्याप्त संपार्श्विक के साथ सुरक्षित है।
सिनर्जी कैपिटल के प्रबंध निदेशक विक्रम दलाल के अनुसार, “कंपनी को मजबूत वित्तीय और अच्छे प्रबंधन का समर्थन प्राप्त है जो इस मुद्दे को आकर्षक बनाता है।” हालांकि, एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि इनमें केवल तभी निवेश करें जब आप कुछ जोखिम उठाने के इच्छुक हों। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा उठाए गए आईआईएफएल के मामले में सबसे बड़ी चिंता इसकी ऋण पुस्तिका की अपेक्षाकृत कम उम्र है। पिछले तीन वर्षों में लोन बुक में भारी वृद्धि हुई है, इसका मतलब है कि चक्र चल रहा है और अनुभव सीमित है।