म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देते हैं। म्यूचुअल फंड के माध्यम से जो पैसा निवेश करते हैं उसे फंड मैनेजरों द्वारा मैनेज किया जाता है, जिन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव की अच्छी समझ होती है। म्यूचुअल फंड लंबी अवधि के अन्य निवेश प्लान्स से ज्यादा रिटर्न देते हैं। वहीं अगर कोई ग्राहक बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो उनके लिए इक्विटी फंड्स एक बेस्ट विकल्प माना जाता है। म्यूचुअल फंड जो निवेशकों की रकम कंपनियों के शेयरों में लगाते हैं, उन्हें इक्विटी म्यूचुअल फंड कहते हैं। इक्विटी फंड्स के लिए ग्राहकों को केवाईसी (अपने ग्राहक को जानों) की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े नियमों पर ग्राहकों के बीच असमंजस की स्थिति बनी रहती थी जिसे मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने दूर कर दिया है। सेबी ने इसके लिए गाइडलाइन जारी की है। मसलन म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले ग्राहकों के बीच इस बात को लेकर असमंजस था कि नाबालिग निवेशक म्यूचुअल फंड में कैसे निवेश कर सकता है। असमंजस की यह स्थिति इसलिए बनी हुई थी क्योंकि आमतौर पर नाबालिग के पास कोई ठोस दस्तावेज नहीं होते जो कि निवेश के लिए जरूरी होते हैं। नाबालिग के म्यूचुअल फंड में निवेश को आसान बनाने के लिए सेबी ने अपनी गाइडलाइन में कई बातों का जिक्र किया है।

गाइडलाइन के मुताबिक यामक ने कहा कि निवेश राशि का भुगतान नाबालिग के बैंक खाते या अभिभावाक के साथ नाबालिग के संयुक्त खाते से चेक, डिमांड ड्राफ्ट या किसी अन्य माध्यम से स्वीकार किया जाएगा। गाइडलाइन जारी न होने से पहले संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) पेरेंट्स को नाबालिग निवेशकों की ओर से ट्रांजैक्शन की अनुमति देते थे।

गाइडलाइन में कहा गया है कि जबतक नाबालिग की स्थिति बदलकर बालिग नहीं कर दी जाती, आगे के लेन-देन की अनुमति नहीं दी जाएगी। यही नहीं अब एक कैंसल्ड चेक और बैंक खाते का खाते का ब्योरा देना होगा। संपत्ति प्रबंधन कंपनियों इस गाइडलाइन्स को फॉलों करें इसके लिए ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए कहा गया है जिसमें पैरेंट्स नाबालिग के बालिग होने पर प्रक्रिया का पालन ने होने पर निवेश होल्ड पर रख दिया जाए।