एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करना आसान नहीं होता। अगर बात दूसरे राज्य में शिफ्ट होने की है तो इसके लिए पूरी प्लानिंग करनी पड़ती है।  अपने साथ अपनी गाड़ी को भी साथ ले जा रहे हैं तो इसके लिए भी अलग से कुछ जरूरी काम पूरे करने होते हैं। हर राज्य के अलग नियम होने के चलते इन्हें पूरा करना अनिवार्य है। इसमें नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट और अन्य कागजात लगाने पड़ते हैं।

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी)- किसी दूसरे राज्य में गाड़ी ले जाने के लिए सबसे जरूरी एनओसी है, जिसे आपको उस राज्य से लेना पड़ेगा, जहां से गाड़ी रजिस्टर्ड है। उदाहरण के दौर पर मान लीजिए, आपकी गाड़ी दिल्ली में रजिस्टर्ड है तो आपको यहीं से एनओसी लेनी पड़ेगी। जिसमें साफ होगा कि पंजीकरण प्राधिकरण को नया रजिस्ट्रेशन मार्क असाइन करने में कोई ऑब्जेक्शन नहीं है। इतना ही नहीं, रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी पुलिस से भी एक रिपोर्ट मांगेगी। जिसमें पूछा जाएगा कि इस गाड़ी की चोरी को लेकर कोई केस है या नहीं। साथ ही यह भी पता कराएगा जाएगा कि कोई बकाया तो नहीं है। अगर गाड़ी बैंक लोन पर है तो वहां से भी एनओसी की जरूरत पड़ेगी।

अन्य जरूरी कागज- एनओसी मिलने के बाद आपको सभी कागजों को कम्पाइल करना होगा। जिससे आपकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्य में आसानी से हो सके। इसमें आपकी गाड़ी के असली कागज के साथ बीमा और प्रदूषण के कागज होंगे। इसके अलावा आपको गाड़ी की इनवाइस भी दिखानी होगी।

दूसरे राज्य में फिर से रजिस्ट्रेशन- आपके पास जो एनओसी होगी, उसकी एक समय सीमा तय होती है। इसलिए आपको समय रहते ही दूसरे राज्य में फिर से गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यहां भी आपको राज्य द्वारा तय कीमत के हिसाब से रोड़ टैक्स देना होगा। इसके बाद आपको दो फॉर्म भरने होंगे। इसमें गाड़ी को दोबारा रजिस्ट्रेशन और पता बदलने का फॉर्म होगा। अगर आपकी गाड़ी सेकेंड हैंड है तो आपको अतिरिक्त फॉर्म भी भरने हो सकते हैं।