बैचलर्स हों या फैमिली, साफ-सफाई रखने के बाद भी घर पर कई बार टॉयलेट गंदा रह जाता है। ऐसे में लोग अपने ढंग से टॉयलेट जाते हैं और उनका इस्तेमाल करते हैं पर दफ्तरों के मामले में यह मनमानी नहीं चलती। दफ्तरों में टॉयलेट इस्तेमाल करने के कुछ नियम-कायदे होते हैं, जो शायद ही कम लोगों को पता होते हैं। मसलन टॉयलेट के दौरान अधिक समय नहीं लगाना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि लोग कमोड पर फोन लेकर चैटिंग या गेम में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए।

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बाथरूम-टॉयलेट के दौरान पैर अधिक फैला नहीं कमोड पर नहीं बैठना चाहिए। उससे बगल वाले स्टॉल में दूसरे शख्स को आपके जूते-चप्पल दिखेंगे और वह अंदाजा लगा सकेगा कि उस टॉयलेट के भीतर कौन है। सहकर्मियों से कभी भी टॉयलेट संबंधी अनुभवों की चर्चा न करें। अगर कोई वॉशरूम के भीतर हो, तो नॉक करें। कभी भी वॉशरूम के भीतर अखबार न लेकर जाएं।

बहुत सारे लोग टॉयलेट के दौरान फोन पर बातचीत करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। कई बार तो आजू-बाजू वाले टॉयलेट या यूरिनल प्रयोग करने के दौरान लोग आपस में बातचीत करते हैं। कायदा कहता है कि वहां ज्यादा लंबी बात नहीं करनी चाहिए। हां-हूं में जवाब देकर बाहर निकलें और फिर बात करें।

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फोटोः Freepik)

वॉशरूम, बाथरूम, रेस्टरूम और टॉयलेट में आखिरी वाले स्टॉल या यूरिनल इस्तेमाल करने से बचें। शोध बताते हैं कि ये वाले सबसे अधिक गंदे होते हैं। कारण- लोगों में आम धारणा होती है कि आखिरी वाले में कम लोग गए होंगे या वह खाली होगा, मगर यह अनुमान गलत होता है। कुछ ऐसा ही हाल दिव्यांगों वाले टॉयलेट्स के साथ होता है।

रेस्टरूम के भीतर पैर से कभी भी फ्लश न चलाएं। गंदगी न फैलाएं। खासकर वे, जिन्हें चिंगम चबाकर यूरिनल में थूंकने की आदत होती है। इतना ही नहीं, दफ्तर के बाथरूम के भीतर अजीब-अजीब आवाजें न निकालें न ही उन पर हंसे। एक्सपर्ट्स इन चीजों को न करने के पीछे के कारण भी बताते हैं। उनका मानना है कि अगर ये सारी चीजें करते कोई देखा जाए, लोग उसका मजाक बनाते हैं। उल्टा वे उस शख्स को गैर-पेशेवर समझते हैं, जिससे शख्स की छवि पर खराब होती है।