झारखंड़ के रांची एयरपोर्ट पर एक दिव्यांग के साथ ऐसी घटना हुई है, जिसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। दरअसल, एक एयरलाइन ने एक दिव्यांग बच्चे को लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए फ्लाइट में ट्रैवल करने से रोक दिया। इसके बाद, बच्चे के साथ उसके माता-पिता को भी फ्लाइट छोड़नी पड़ी। आइए जानते हैं सेंट्रल एविएशन डिपार्टमेंट की गाइडलाइंस के अनुसार, दिव्यांगों के लिए एयरपोर्ट और फ्लाइट में क्या सुविधाएं मिलती हैं-

किसी भी एयरलाइन के पास दिव्यांग को अपने साथ अटेंडेंट, असिस्टिव डिवाइस जैसे कि व्हीलचेयर, आर्टिफिशियल बॉडी पार्ट, वॉकिंग क्रचेज प्लेन में ले जाने से रोकने का अधिकार नहीं है। हालांकि, इसके लिए पैसेंजर को टिकिट बुकिंग के समय ये सब जानकारी देनी होती है, ताकि वे यात्रा के दौरान ये सुविधाएं मांग सकें। इसके अलावा, फ्लाइट से एयरपोर्ट तक ले जाने वाले साधनों पर उतारने चढ़ाने के लिए व्हील चेयर की सुविधा होनी चाहिए।

दिव्यांग पैसेंजर्स को डिपार्चर फ्लाइट तक ले जाने और डेस्टिनेशन पॉइंट पर फ्लाइट पहुंचने के बाद एग्जिट पॉइंट तक पहुंचाने की भी सुविधा दी जाती है ताकि उन्हें कोई समस्या ना हो। इन सुविधाओं के लिए फ्लाइट पैसेंजर से कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं कर सकती हैं। एयरलाइन को अपनी वेबसाइट पर सभी सुविधाओं के बारे में बताना जरूरी होता है, ताकि दिव्यांग पैसेंजर टिकिट बुकिंग के समय ही इन सुविधाओं को मांग सके। इसके अलावा, दिव्यांग यात्रा के दौरान अपने साथ गाइड डॉग भी ले जा सकते हैं जो उनकी सीट के साथ ही बैठा रहेगा। हालांकि, इसके लिए वैक्सीनेटेड और ट्रेंड डॉग को ही ले जाने की इजाजत मिलती है, जिसके प्रमाण होना भी जरूरी हैं। एयरलाइन को ये प्रमाण दिखाने होते हैं।

इसके साथ ही पैसेंजर के सामान पर असिस्टिव डिवाइस का टैग लगाया जाना होता है, जिससे उनके सामान की डिलीवरी आसानी से हो जाए। अगर कोई फ्लाइट दिव्यांग पैसेंजर को यात्रा से रोकती है तो उसे ये लिखित में इसका कारण देना होगा और बताना होगा की दिव्यांग पैसेंजर उड़ान की सुरक्षा के लिए हानिकारक कैसे है।

इन सबके अलावा, ऑटिज्म के रोगी यानी कि ऑटिस्टिक दिव्यांग, जो अपनी बात कह कर नहीं बता सकते हैं, उनके लिए भी बुकिंग पेज पर DPNA कोड मिलता है। इससे उन्हें विशेष सुविधाएं फ्लाइट्स में मिल जाती हैं।

जानें, रेल और बसों में दिव्यांगों के लिए क्या है सुविधा-
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, दिव्यांगों को प्राथमिकता वाली सीट, साइन बोर्ड, बैसाखी, वॉकर और व्हीलचेयर को बस में लाने एवं रखने की सुविधा होती है। बसों में ये सुविधाएं होनी जरूरी होती हैं। जिन बसों में ये सारी सुविधाएं होती हैं, उनको ही फिटनेस बस का सर्टिफिकेट दिया जाता है। इसके अलावा, भारतीय रेलवे दिव्यांग पैसेंजरों को टिकिट में डिस्टाकउंट देता है।