निजी सेक्टर के संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की सैलरी से अक्सर EPS काटा जाता है। EPS क्या है…? कर्मचारियों को EPS से क्या लाभ है और कटे हुए पैसे कैसे और कब मिलेंगे…? यह जानना बेहद जरुरी है। दरअसल प्राइवेट सेक्टर के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को मासिक पेंशन का लाभ मिले इसी मकसद से इंप्लाई पेंशन स्कीम 1995 (EPS), की शुरुआत की गई थी।

कंपनी अपने कर्मचारी के सैलरी से 12 फीसदी का EPF के लिए काटती है। जिसमें 8.33 प्रतिशत हिस्सा EPS में जाता है। कंपनी EPS में अधिकतम 1250 रुपए का मासिक योगदान कर सकती है। EPF स्कीम का फायदा वहीं कर्मचारी उठा सकते हैं जिनकी उम्र 58 साल हो चुकी हो। हालांकि 50 साल की उम्र पूरी कर लेने और 58 साल की उम्र से पहले भी पेंशन लेने का विकल्प भी चुना जा सकता है। पेंशन हासिल करने के लिए नौकरी का कार्यकाल कम से कम 10 साल तक होना चाहिए।

EPS के तहत कितनी सैलरी मिलेगी और कैसे इसे कैलकुलेट किया जाता है? यह जानना बहुत जरूरी है। आपको मासिक पेंशन कितना होता है यह जानने के लिए आप बेसिक सैलरी और DA अमाउंट को जोड़ सकते हैं। बेसिकल सैलरी और DA को जोड़ने से मतलब है नौकरी छोड़ने से पहले के पिछले 5 वर्ष की सैलरी का औसत।

पेंशन योग्य सेवा यानी 16 नवंबर 1995 के बाद नौकरी में गुजारी गई अवधि। ध्यान रहे EPS के तहत मैक्सिमम पेंशनेबल सैलरी लिमिट 15000 रुपये प्रतिमाह तक है। यानी इतने ही बेसिक+ DA अमाउंट पर पेंशन कटेगी, फिर चाहे कर्मचारी की सैलरी कितनी ही ज्यादा क्यों न हो जाए।

वैसे तो पेंशन पाने के लिए नौकरी का कार्यकाल 10 साल होना चाहिए। लेकिन 9 साल 6 महीने की नौकरी को भी 10 साल ही माना जाता है। हालांकि 50 साल की उम्र पूरी कर लेने और 58 साल की उम्र से पहले भी पेंशन लेने का विकल्प चुना जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि ऐसे में आपको घटी हुई पेंशन मिलेगी और इसके लिए फॉर्म 10D भी भरना होगा।