हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में लागू किया गया था। भारत में जम्मू-कश्मीर को छोड़कर हर राज्य में यह लागू है लेकिन इसके पालन के लिए राज्य सरकारों को अपने-अपने नियम बनाने की स्वतंत्रता दी गई है। हिंदू विवाह में कुछ शर्तों का पालन होना अनिवार्य है, जिन्हें यहां संक्षेप में बताया जा रहा है। कानून के मुताबिक हिंदू विवाह उन्हीं युवक-युवती के बीच हो सकता है जो पहले से हिंदुओं की तरह रह रहे हों। शादी के दिन युवक की उम्र 21 और युवती की उम्र 18 से कम न हो। युवक और युवती की दिमागी हालत सेहतमंद होनी चाहिए। युवक और युवती को पहले से शादीशुदा नहीं होने चाहिए, इसका मतलब है कि एक पत्नी के साथ रहते हुए पति शादी नहीं कर सकता है और एक पति के साथ रहते हुए एक पत्नी शादी नहीं कर सकती है। जोड़े के बीच ऐसा संबंध नहीं होना चाहिए जो शादी के लिए वर्जित हो। मसलन शादी करने वाले जोड़े के बीच चचेरे भाई-बहन का रिश्ता नहीं होना चाहिए। अगर इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं होती है तो कानून शादी को मान्य नहीं मानेगा।
ये लोग भी कर सकते हैं हिंदू विवाह: वीरशैव, लिंगायत, ब्रह्म, प्रार्थना और आर्य समाज के लोग हिंदू विवाह कर सकते हैं। बौद्ध, सिख और जैन धर्म के लोग भी इसके अंतर्गत शादी कर सकते हैं। अगर आप यह साबित कर दें कि आपके समुदाय/ जनजाति/ जाति में किसी हिंदू कानून और या रीति का पालन होता हैं तो आप भी हिंदू विवाह कर सकते हैं।
कुछ मामलों में सजा का भी प्रावधान: विवाह बंधन में रहते हुए अगर पार्टनर किसी और के साथ शादी करने जा रहा हो तो उसे रोकने के लिए आप अदालत में ‘नागरिक निषेध’ याचिका दायर कर सकते हैं। ऐसी शादी करना कानूनी तौर पर अपराध है और इसे द्विविवाह का प्रथा के अंतर्गत गिना जाता है जो कि हिंदू विवाह का हिस्सा नहीं है। पहली शादी के चलते हुए दूसरी शादी करने पर 10 साल की जेल और आर्थिक जुर्माना हो सकता है। शादी के लिए वैध उम्र का पालन नहीं करने पर साधारण कैद की सजा हो सकती है, जिसे 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है और 1000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इस मामले में नहीं हो सकती शादी: माता पक्ष से ऊपर से तीन पीढ़ियों तक एक ही परिवार के लोग आपस में शादी नहीं कर सकते हैं। पिता पक्ष की ओर से यह पांच पीढ़ियों का मामला माना जाता है। इसकी अवहेलना करने पर साधारण कैद की सजा होती है, जिसे एक महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है। एक हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है या कैद और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। ऐसे विवाहों को अनुमति तब दी जा सकती है जब आपके समुदाय/ जाति/ जनजाति के द्वारा इसके पक्ष में स्थापित किसी रीति-रिवाज को उपयोग के तौर पर साबित किया जा सके।
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 8 राज्यों को उनके हिसाब से शादी के पंजीकरण के नियम बनाने की इजाजत देती है। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12 में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में हिंदू विवाह को अमान्य माना जाएगा। विवाह को अमान्य ठहराने वाली परिस्थितिया: जोड़े में कोई एक अगर नपुंसक हो, योग्यता के संदर्भ में शादी की शर्तों को नहीं माना गया हो, शादी के वक्त महिला पति के अलावा अगर किसी और से गर्भवति हो।
#Law #Marriage The law in India has laid out specific conditions for what it recognizes as Hindu Marriages. If these conditions are not met, the validity of a couple's marriage can be called into question and in some cases, couples can also face punishment. pic.twitter.com/EOC1tdiRvp
— Nyaaya (@NyaayaIN) August 7, 2018