चारधाम यात्रा में अभी तक मरने वाले यात्रियों की संख्‍या 100 के आंकड़े के पार जा चुकी है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, यात्रा के दौरान 101 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है, जिसमें केदारनाथ धाम में 49, बद्रीनाथ धाम में 20, गंगोत्री धाम में 7 और यमुनोत्री धाम में 25 शामिल हैं। इनमें से रविवार को केदारनाथ और बद्रीनाथ में एक-एक की मौत हो गई।

अब इसी के मद्देनजर सरकार ने चारधाम यात्रा के नियम में बदलाव कर दिया है। यह बदलाव 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले यात्रियों के लिए किया गया है। इस नियम के अनुसार, अगर कोई भी 50 वर्ष से अधिक उम्र वाला व्‍यक्ति चारधाम यात्रा का प्‍लान बना रहा है तो उसे अब अनिवार्य स्‍वास्‍थ्‍य जांच से गुजरना होगा और अगर स्‍वास्‍थ्‍य सहीं पाया जाता है तो ही यात्रा की अनुमति मिलेगी।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड की स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट ने जानकारी दी कि चारधाम यात्रा के लिए आने वाले 50 और उससे अधिक उम्र के सभी तीर्थयात्रियों के लिए मेडिकल स्क्रीनिंग अनिवार्य करने का फैसला लिया गया है। वहीं उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी केएस चौहान ने भी पुष्टि की कि 50 साल से ऊपर के तीर्थयात्रियों की मेडिकल जांच की जा रही है।

क्‍यों हो रही है यात्रियों की मौतें?
इसके अलावा रुद्रप्रयाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीके शुक्ला ने बताया कि मेडिकल जांच में फेल यात्रियों को वापस लौटने की सलाह दी जा रही है। केदारनाथ में मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान प्रदीप भारद्वाज ने कई कारकों के संयोजन के लिए मौतों की उच्च संख्या को जिम्मेदार ठहराया है। इसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़, एक अनुकूलन तंत्र की अनुपस्थिति, तीर्थयात्रियों की कमजोर सुविधा, कोविड का प्रभाव और मौसम का बदलाव शामिल है।

पिछले कुछ सालों के दौरान चारधाम में हुई मौतें
गौरतलब है कि पिछले वर्षों में तीर्थयात्रियों की मौतें पूरे सीजन के दौरान 2019 में 90 से अधिक हुई, 2018 में 102 और 2017 में 112 की मौत हुई थी। बता दें कि चारधाम यात्रा हर साल अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर तक लगभग छह महीने तक चलता है।