ट्रेन में सफर के बीच में बेवजह जंजीर खींचना किसी को भी महंगा पड़ सकता है। चेन पुलिंग के कारण जुर्माना चुकाने से लेकर जेल तक की हवा खानी पड़ सकती है। मगर ये बात कम ही यात्रियों को पता होती हैं। आपात्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रेन की बोगियों में जंजीर दी जाती है, जिसे खींचकर कहीं भी ट्रेन को रुकवाया जा सकता है।

आमतौर पर चेन पुलिंग तब की जाती है, जब कोई सहयात्री छूट जाए, ट्रेन में आग लग जाए, स्टेशन पर परिजन रह जाएं, बुजुर्ग या दिव्यांग यात्री साथ हो और उन्हें ट्रेन में बैठाने में अधिक वक्त लगे, अचानक बोगी में किसी की तबीयत बिगड़ जाना, झपटमारी-चोरी, डकैती और छापेमारी व अन्य आपातकालीन स्थितियां।

कहां होती है जंजीर?: पूर्व में ट्रेन की बोगियों की दीवारों पर हर तरफ जंजीर दी जाती थीं, मगर गलत इस्तेमाल होने के चलते रेलवे ने इनकी संख्या घटा दी। अब इन्हें हर बोगी के केवल बीच में दिया जाता है।

ऐसे करती है काम: अलार्म वाली जंजीरें ट्रेन के मुख्य ब्रेक पाइप से जुड़ी होती हैं। इस पाइप में हवा का दबाव होता है, जिससे ट्रेन रफ्तार में चलती है। मगर चेन पुलिंग के वक्त ये हवा बाहर निकल जाती है। हवा के दबाव में आई कमी के कारण ट्रेन की रफ्तार धीमी होती है, जिसके बाद लोको पायलट उसे रोकता है।

फ्लैशर देते हैं संकेतः जंजीर खींचे जाने के बाद रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) का कर्मी फौरन उस कोच में पहुंचता है। कैसे? दरअसल, ट्रेन की बोगियों के किनारे इमरजेंसी फ्लैशर्स लगे होते हैं। जंजीर खिंचने के बाद ये सक्रिय हो जाते हैं। बत्ती जलने-बुझने के साथ बजर की आवाज भी आती है। ऐसे में यह पता लग जाता है कि कौन सी बोगी से चेन पुलिंग हुई।

फिजूल में चेन पुलिंग की सजा: बगैर किसी कारण के चेन पुलिंग भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 141 के तहत अपराध माना जाता है। दोषी पाए जाने पर किसी को भी एक साल तक की जेल की सजा या जेल की सजा के साथ एक हजार रुपए का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सजा 500 रुपए जुर्माना (पहले अपराध) और तीन महीने जेल (दूसरा या उसके बराबर का अपराध) की सजा होती है।