भारतीय कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIC) एक बहुआयामी सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसे संगठित क्षेत्र में ‘कर्मचारियों’ को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। ESIC योजना केन्द्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा संचालित है। इसे कर्मचारी राज्य बीमा निगम कहा जाता है। यह ऐसी स्कीम है, जो बीमा कवर देने के साथ ही परिवार को स्वास्थ्य चिकित्सा सुविधा का लाभ देती है।
इस योजना का फायदा निजी कंपनियों, फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलता है। कर्मचारी को ESI कार्ड जारी होता है। अगर कोई ESI के तहत मिलने वाले मुफ्त इलाज का लाभ लेना चाहता है तो उसे ESI डिस्पेंसरी या हॉस्पिटल जाना होता है। जिसके बाद वहां कार्ड या दस्तावेज के जांच पर इलाज कराया जाता है।
कौन ले सकता है लाभ
ESIC वेबसाइट के अनुसार, 1 जनवरी 2017 से नया नियम लागू किया गया, जिसके तहत 21 हजार मंथली इनकम पाने वाले कर्मचारी भी ESI स्कीम का लाभ ले सकते हैं। योगदान श्रमिकों की कमाई की क्षमता पर उनके वेतन के एक निश्चित अनुपात के रूप में आधारित होते हैं, फिर भी उन्हें बिना किसी भेदभाव के व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जाता है।
ESI स्कीम में योगदान
ESI स्कीम में कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों की ओर से योगदान रहता है। नियोक्ता के अंशदान का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा 3 वर्षों के लिए किया जाता है। जिन कर्मचारियों का प्रतिदिन औसत वेतन 137 रुपये है, उन्हें इसमें अपना योगदान देना नहीं होता। मौजूदा समय में ESI स्कीम में कर्मचारी की ओर से सैलरी का 1.75 फीसदी योगदान होता है, नियोक्ता की ओर से योगदान की दर, कर्मचारी की सैलरी के 4.75 फीसदी के बराबर है।
ये मिलते हैं फायदें
चिकित्सा लाभ: इस योजना के तहत जिस समय से एक बीमित व्यक्ति बीमा योग्य रोजगार शुरू करता है, उसे और उसके परिवार को पूर्ण चिकित्सा का लाभ दिया जाता है। इसमें कोई लिमिट नहीं दी गई है कि कर्मचारी कितने तक का निवेश इलाज के लिए कर सकते हैं। इसमें 120 रुपये के वार्षिक प्रीमियम के भुगतान पर, सेवानिवृत्त और स्थायी रूप से विकलांग व्यक्तियों और उनके परिवार को चिकित्सा लाभ दिया जाता है।
बीमारी लाभ: 6 महीनों की अंशदान अवधि में 78 दिनों के लिए अंशदान देने वाले कर्मचारियों को बीमारी के दौरान होने वाली छुट्टी के लिए एक साल में अधिकतम 91 दिनों के लिए, मजदूरी के 70 फीसदी की दर से नकद भुगतान किया जाता है। इसके साथ ही 34 घातक और दीर्घकालीन बीमारियों के मामले में मजदूरी के 80% की बढ़ी दर से कर्मचारी को हितलाभ 2 वर्षों तक दी जाती है।
मातृत्व लाभ और आश्रित जन लाभ
मातृत्व लाभ: मातृत्व छुट्टी के दौरान डिलीवरी के मामले में 12 सप्ताह तक, गर्भपात के मामले में 26 सप्ताह तक दैनिक वेतन का 100 फीसदी नकद भुगतान किया जाता है। इसके अलावा गर्भधारण, प्रसूति, समयपूर्व जन्म के कारण होने वाली बीमारी के मामले में एक माह से अधिक के लिए भुगतान किया जाता है।
आश्रितजन लाभ: यदि किसी बीमित व्यक्ति की रोजगार के दौरान मौत हो जाती है तो ईएसआईसी उसके आश्रितों को नियत अनुपात में मासिक पेंशन का भुगतान करता है। हित लाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति की मृत्यु के अधिकतम तीन महीने के भीतर उसके आश्रितजनों से शुरू की जाती है। उसके बाद नियमित रूप से मासिक आधार पर भुगतान किया जाता है।
पेंशन लाभ: भुगतान के बाद पेंशन को 3 भागों में बांटा जाता है- पहला बीमित व्यक्ति की पत्नी को पेंशन; दूसरा बीमित के बच्चों को पेंशन और तीसरा बीमित व्यक्ति के माता-पिता को पेंशन। आश्रितों को मासिक भुगतान के रूप में कर्मचारी की दैनिक मजूदरी का 90 फीसदी दिया जाता है।
अपंगता हितलाभ: अस्थायी अपंगता हितलाभ तब मिलता है, जब कर्मचारी रोजगार के दौरान चोट या व्यावसायिक चोट से प्रभावित होता है और काम करने में असमर्थ होता है। यह हितलाभ औसत दैनिक मजदूरी के 90% की दर से तब तक अदा किया जाता है।
अन्य लाभ
अंतिम संस्कार व्यय: बीमा योग्य कार्य के पहले दिन से, आश्रितों या अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति को 15,000 रुपये की राशि देय है।
कारावास व्यय: एक बीमित महिला या एक आई.पी. उसकी पत्नी के संबंध में एक ऐसे स्थान पर कारावास की स्थिति में जहां ईएसआई योजना के तहत उपयुक्त चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।