साइबर क्रिमिनल डेबिट और क्रेडिट कार्ड ठगी के लिए नए-नए तरीकों से लोगों को चूना लगाते हैं। कई मामलों में तो डेबिट और क्रेडिट कार्डधारकों को इसकी भनक तक नहीं लगती और वह देखते ही देखते ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसा ठगों के शातिर दिमाग और ग्राहकों की लापरवाही के चलते होता है। ठगी के कई ऐसे मामले हैं जिसमें प्वाइंट ऑप सेल (PoS) मशीन स्वाइप का इस्तेमाल किया जाता है।

मशीन स्वाइप के जरिए ठग कार्डधाकरक की जानकारी प्राप्त कर क्लोंनिंग करते हैं यानि डुप्लीकेट कार्ड बनवा लेते हैं। ऐसा पीओएस मशीन में स्कीमर डिवाइस लगाकर किया जाता है। जब कार्डधारक किसी दुकान पर पेमेंट करने के दौरान अपना कार्ड स्वैप करवाता है तो जानकारी लीक कर ली जाती है।

ये जानकारी स्कीमर डिवाइस जो कि पीओएस मशीन में लगाई जाती है उसपर रिकॉर्ड हो जाती है। ठग कार्ड की मैगनेटिक स्ट्रिप पर दर्ज सारे डेटा को चुरा लेते हैं। इसके बाद डुप्लीकेट कार्ड बनवा लिया जाता है। मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड में यूजर का डाटा सेव होता है, लेकिन किसी धोखेबाज को इसे कॉपी करना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है और जब यूजर अपना कार्ड स्वाइप करते हैं तो आपका डाटा चुराया जा सकता है।

अगर आप चाहत हैं कि पीओएस मशीन से स्वैपिंग के दौरान आपका डाटा चोरी न हो तो इसके लिए आप कॉन्ट्रैक्टलैस ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सुविधा के तहत ट्रांजैक्शन के लिए स्वाइप करने की जरूरत नहीं होती है बल्कि टैप मात्र से ही पेमेंट हो जाता है। इसके अलावा कार्डधारकों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आपका कार्ड लेकर सेल्सपर्सन आपसे दूर न जाए।