(सुनील धवन)

Bank FD Vs Debt Funds Vs Bharat Bond ETF: निवेश करना किसी भी व्यक्ति के लिए अहम होता है। निवेश कर हम अपने भविष्य को सिक्योर करते हैं। इसके साथ ही कहीं पर पैसा निवेश करने पर हम कई तरह के फायदे भी दिए जाते हैं इसमें सबसे अहम होता है निवेश की रकम पर मिलने वाला ब्याज। यूं तो निवेश के कई सारे विकल्प मौजूद हैं लेकिन आज हम आपको बैंक फिक्स्ड डिपोजिट, डेब्ट फंड्स और भारत बॉन्ड ईटीएफ के बारे में बता रहे हैं। इन तीनों में से किसमें निवेश करना आपको फायदा देगा और जरूरत के हिसाब से कौन सा विकल्प अच्छा रहेगा।

फिक्स्ड डिपोजिट की बात करें तो इसमें आपको एक निश्चित समय के लिए निवेश करना होता है। ये समय एक हफ्ते से लेकर 10 साल तक हो सकता है। हालांकि समय से पहले निवेश की गई रकम निकालने पर ग्राहकों से पेनल्टी वसूली जाती है। वहीं बात करें डेब्ट फंड्स की तो इसमें कोई समय सीमा नहीं होती। ग्राहक निवेश किया गया पैसा कभी भी निकाल सकते हैं। बात करें भारत बॉन्ड ईटीएफ तो इसमें निवेश के दो विकल्प हैं। पहला है है तीन साल के लिए तो दूसरा है 10 साल के लिए। हालांकि अगर कोई ग्राहक इससे पहले इस स्कीम से बाहर आना चाहता है तो वह स्टॉक एक्सचेंज में अपनी यूनिट्स को बेचकर ऐसा कर सकता है।

अगर बात करें इन तीनों में निवेश करने पर सेफ्टी की तो तीनों में निवेशकर्ताओं को पूरी राशि पर कोई स्पष्ट गारंटी नहीं मिलती है। इसमें आरटीआई में सामने आई जानकारी में कहा गय है कि ‘डीआईसीजीसी एक्ट के सेक्शन 13(1) के तहत बैंकों के दिवालिया या फिर डूबने की स्थिति में प्रत्येक खाताधारक को एक लाख रुपए तक दिया जाता है। यह अमाउंट इंश्योरेंस कवर के रूप में ट्रांसफर किया जाता है। इसमें विभिन्न शाखाओं में जमा मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल हैं।’

यहां तक कि डेब्ट फंडों में रिटर्न और प्रिसंपल अमाउंट पर का कोई गारंटी नहीं मिलती। रिटर्न अंतर्निहित सिक्योरिटी पर निर्भर करता है। ये मनी मार्केट इनवेस्टमेंट या कॉर्पोरेट बॉन्ड हो सकते हैं। पिछले दिनों देखा गया है कि कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करने वाले डेब्ट फंड अन्य डेब्ट फंड की तुलना में जोखिम भरे साबित हुए हैं। वहीं भारत बॉन्ड इटीएफ में डेब्ट फंड्स की तुलना में निवेश पर ज्यादा सेफ्टी मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें सरकारी कंपनियों की एएए- और एए- रेटिंग वाली सिक्योरिटीज को शामिल किया गया है, जिससे निवेशकों की सुरक्षा बनी रहती है।

फिक्स्ड डिपॉजिट मे निवेशकों को टैक्स दर में छूट मिलती है। टैक्स बचाने के लिए टैक्स सेविंग्स फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश का बढ़िया माध्यम है। एफडी में अगर कोई उच्च टैक्स स्लैब (31.2 फीसदी) वाला ग्राहक निवेश करता है तो 6.5 प्रतिशत ब्याज की दर से रिटर्न में मिलने वाली रकम पर 4.47 फीसदी टैक्स लगेगा। वहीं अगर लोअर टैक्स स्लैब (5.2 फीसदी) वाले ग्राहकों को पोस्ट टैक्स रिटर्न 6.15 फीसदी मिलेगा। वहीं भारत बॉन्ड ईटीएफ में टैक्स रेट बैंक एफडी की तरह ही हैं। हालांकि लंबे समय की अवधि में एफडी के मुकाबले भारत बॉन्ड ईटीएफ और डेब्ट फंड्स में टैक्स राहत ज्यादा है।

बात करें इन तीनों पर मिलने वाले रिटर्न की तो ग्राहकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6.5 प्रतिशत की दर से ब्जाज मिलता है। भविष्य में डेब्ट फंडों का प्रदर्शन अर्थव्यवस्था में ब्याज दर सहित कई कारकों पर निर्भर करता है। 3 साल के ईटीएफ से निवेशकों को 6.31% का पोस्ट रिटर्न मिलेगा जो 10 साल के ईटीएफ में 6.99% मिलेगा।