लोगों को ठगने के लिए साइबर ठग नए-नए तरीके अपनाते हैं। हमारे देश में अभी भी बहुत से लोग टेक्नोलोजी से कोसो दूर हैं और ऐसे में उन्हें ठगी का शिकार बनाना साइबर ठगों के लिए बेहद आसान हो जाता है।

ऐसा ही एक तरीका है कॉल स्पूफिंग। इसके जरिए ग्राहकों को बैंक के कस्टमर केयर नंबर से कॉल किया जाता है। दरअसल कॉल स्पूफिंग के जरिए ग्राहकों की स्क्रीन पर वह नंबर शो होता है जिसे वे दिखाना चाहते हैं। इसे फेक कॉलिंग भी कहा जाता है। साइबर ठग किसी के भी नंबर का इस्तेमाल अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कर सकते हैं।

Internet Banking इन में तीन तरीकों से होता है पैसा ट्रांसफर, इन बातों का रखें ध्यान

साइबर ठग इसके जरिए ग्राहकों को उनके संबंधित बैंक का नंबर (जैसे कस्टमर केयर या बैंक से जुड़े अन्य आधिकारिक नंबर) शो करवाते हैं। जब जाने-पहचाने नंबर से ग्राहक के पास कॉल आता है तो वह इसे रिसीव जरूर करते हैं। बस यही मौका स्कैमर्स को चाहिए होता है।

उनका काम आसान हो जाता है और ग्राहक उनकी लिखी स्क्रिप्ट में फंसता चला जाता है। ग्राहकों को भी यकीन हो जाता है कि बैंक की तरफ से कॉल आया है। इस दौरान ठग ग्राहक से उनके खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारियां मांग लेते हैं और फिर देखते ही देखते ही ग्राहक को ठग लिया जाता है।

ऐसे में इससे बचने का तरीका यही है कि आप बैंक के कस्टमर केयर नंबर से ही कॉल क्यों न आए तब भी आपको डिटेल नहीं बतानी चाहिए। ग्राहकों को ओटीपी, पासवर्ड आदि की जानकारी साझा करने से बचना चाहिए।

कई मामले तो ऐसे भी हैं जिनमें बैंक खाताधारकों को लगता है कि बैंक की तरफ से कॉल, एसएमएस या ईमेल आया है। वह इन ठगों पर भरोसा कर लेते हैं। ग्राहक साइबर ठगों द्वारा भेजे गए एसएमएस या ईमेल के साथ अटैच लिंक पर क्लिक कर देते हैं। ऐसा करने से साइबर ठग ग्राहक की सारी जानकारी चोरी कर लेते हैं।