बैंक या एटीएम के जरिए ठगी हो जाने के बाद ग्राहकों को समझ नहीं आता कि वे ऐसा क्या करें कि उनका पैसा वापस आ जाए। कई लोग अपने साथ हुई ठगी के बाद इस बात की उम्मीद ही छोड़ देते हैं कि उनका पैसा वापस मिल सकता है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक और एटीएम ठगी को लेकर गाइडलाइन बना रखी है अगर ग्राहक की लापरवाही न हो तो उनके नुकसान की भरपाई हो सकती है।

आरबीआई के मुताबिक अगर ग्राहक की तरफ से ठग को गोपनीय जानकारी, पासवर्ड और ओटीपी नंबर आदि नहीं बताया गया है और कमी बैंक की होगी तो ठगी होने पर बैंक ही ग्राहक के नुकसान की भरपाई के लिए जिम्मेदार होगा। ऐसे में बैंक ग्राहक को पैसे वापस लौटाएगा।

अगर किसी ग्राहक के खाते पर धोखाधड़ी पर बैंक की तरफ से लापरवाही सामने आई है तो बैंक हर हाल में पैसा वापस लौटाने के लिए जिम्मेदार होगा चाहे ग्राहक ने अपने साथ हुई ठगी कि रिपोर्ट दर्ज करवाई है या नहीं। इसके अलावा अगर न तो बैंक और न ही ग्राहक की लापरवाही है और ठगी में थर्ड पार्टी उल्लंघन हुआ है तो ऐसी सूरत में भी बैंकों को ग्राहकों को पैसा लौटाना होगा। हालांकि ऐसा तभी संभव है जब ग्राहक ने तीन दिन के भीतर इसकी शिकायत दर्ज करवाई हो।

उदाहरण के लिए यदि कोई वॉलेट, वेबसाइट या ऐप जैसी थर्ड पार्टी ग्राहक से किसी वस्तू पर दो बार अमाउंट डिडक्ट करती है और फिर रिफंड भी नहीं करती है। इसके बाद दोनों ट्रांजेक्शन के लिए ग्राहक को बैंक से एक सूचना प्राप्त होती है। ऐसा होने पर यदि तीन दिनों के भीतर ग्राहक बैंक को सूचित करता है कि दूसरी कटौती अवैध है तो बैंक ग्राहक को पैसा वापस लौटाएगा।