देश में अब जल्द सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वैलरी ही बिकेगी। केंद्र सरकार हॉलमार्क वाली ज्वैलरी के लिए नया नियम लागू करने वाली है जिसकी डेडलाइन 15 जून है। कोरोना संकट के चलते सरकार ने इसकी डेडलाइन को बढ़ा दिया है। सरकार इस नए नियम को 1 जून से लागू करने वाली थी।

सरकार नए नियम को लागू कर चाहती है कि भारत में वर्ल्ड स्टैंडर्ड के गोल्ड ज्वैलरी बिके। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की हालमार्किंग स्कीम के तहत ज्वैलर्स को हॉलमार्क ज्वैलरी बेचने के लिए रजिस्टर्ड करना होगा। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड से सर्टिफाइड ज्वैलर अपने ज्वैलरी पर किसी भी निर्धारित हॉलमार्किंग सेंटर से हॉलमार्क हासिल कर सकते हैं।

इस पूरी व्यस्था से ग्राहकों को फायदा पहुंचेगा और उन्हें गोल्ड खरीदते वक्त किसी तरह की असंजस की स्थिति से नहीं गुजरना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 14, 18 और 22 कैरेट सोने की ज्‍वैलरी ही बिकेगी। ऐसे में ग्राहकों को सोने की शुद्धता को लेकर भ्रम नहीं होगा क्योंकि जितनी शुद्धता हॉलमार्क के जरिए बताई गई होगी उतनी ही मिलेगी।

मौजूदा समय में देशभर में सिर्फ 30 फीसदी ज्वैलरी हॉलमार्क के साथ बिक रही हैं। कैरट गोल्ड की शुद्धता का मानक है और हॉलमार्क इसे सुनिश्चित करता है। हॉलमार्क एक चिन्ह होता है जिसे ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड द्वारा प्रमाणित किया जाता है।

यह एक त्रिकोण निशान होता है जिसमें सोने की शुद्धता भी लिखी होती है। अगर आप सोने के गहने खरीद रहे हैं तो हॉलमार्क वाले गहने ही खरीदें। सोना खरीदने के पहले भी सोने की शुद्धता जांचना जरूरी होती है और ग्राहकों को हॉलमार्क के जरिए ही इसकी शुद्धता का पता लग पाता है।