मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह बिना किसी भेदभाव के राज्य के विभिन्न परिवहन निगमों के कर्मचारियों के बकाया पेंशन का भुगतान छह महीने के भीतर करे। इसके साथ ही न्यायाधीश ने परिवहन निगमों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के संघ द्वारा इसके अध्यक्ष एस रंगनाथन के जरिये दायर याचिका और सात अन्य संघों की रिट याचिकाओं को विचार हेतु स्वीकार कर लिया।
मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति सी श्रवणन ने कहा, ‘‘मैं 26 अगस्त 2019 को जारी सरकारी आदेश (जीओ) के संदर्भ में इन सभी रिट याचिकाओं पर विचार करने की अनुमति देता हूं। अधिकारी 1 जनवरी 2016 से 31 मार्च 2018 के बीच सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जो अर्हता रखते हैं, उन्हें पेंशन और महंगाई भत्ता वृद्धि का भुगतान 1 जनवरी 2016 के प्रभाव से और 28 अगस्त 2019 के पूर्वव्यापी प्रभाव से छह महीने के भीतर करेंगे।’’
याचिकाओं में अदालत से अनुरोध किया गया था कि वह सरकार को तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम कर्मचारी पेंशन कोष न्यास में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने और सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के तहत एक सितंबर 1998 से 31 दिसंबर 2015 के बीच सेवानिवृत्त हुए कर्मियों को संशोधित पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दे।
याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि भले ही पेंशन का भुगतान पेंशन फंड और बाहर किया जाना था। वास्तविकता यह है कि पेंशन फंड का भुगतान और वित्त पोषण राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि पेंशन फंड की राशि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए उन सभी कर्मचारियों के लिए एकरूपता बनाए रखनी होगी, जो सरकारी अंशदान द्वारा समर्थित निधि से पेंशन प्राप्त करते रहे हैं।
न्यायाधीश ने आगे कहा कि जो 1 जनवरी 2016 को या उससे पहले सेवानिवृत्त हुए और जो 1 जनवरी 2018 के बाद सेवानिवृत्त हुए, एक ही वर्ग के व्यक्तियों के बीच कृत्रिम रूप से एक वर्ग बनाकर भेदभाव करने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। अगस्त 2019 GO का लाभ समान रूप से बढ़ाया जाना है। उन प्रशासनिक और तकनीकी पर्यवेक्षी कर्मचारियों को समान संशोधन न देने का कोई औचित्य नहीं है, जो 1 जनवरी, 2016 से पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं।