कोरोना संकट के बीच गुजरात सरकार ने सोशल मीडिया पर चल रहे उच्च वेतन ग्रेड को लेकर जानकारी साझा की है। सरकार के मुताबिक सोशल मीडिया पर उच्च वेतन ग्रेड को लेकर चलाए जा रहे कैंपेन से कर्मचारियों को सतर्क रहने की जरूरत है। राज्य सरकार ने इस कैंपेन को ‘द्वेषपूर्ण’ करार दिया है। सरकार ने साफ किया है कि कर्मचारी इस कैंपेन के झांसे में न आएं। BJP सरकार ने खासकर, नर्सों, पुलिस अधिकारियों और बस परिचालकों को आगाह किया है।
उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने इस कैंपेन को कुछ लोगों की साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के कैंपेन से कर्मचारियों को गुमराह किया जा रहा है जबकि पूरा प्रशासन Corona के इस मौजूदा संकट से लड़ने की जदोजहद कर रहा है।
दरअसल यह ऑनलाइन कैंपेन बीते हफ्ते शुरू हुआ है। इस कैंपेन को सोशल नेटवर्किंग साइट Twitter और Facebook पर चलाया जा रहा है। अभियान में कर्मियों की भागीदारी पर सरकार ने चिंता व्यक्त की है। कैंपेन की शुरुआत राज्य सरकार द्वारा एक सरकारी प्रस्ताव पर रोक लगाने के बाद हुई। इस प्रस्ताव में प्राइमरी स्कूल के टीचर्स के एक वर्ग के वेतन ग्रेड को कम करने का प्रस्ताव था।
गुजरात सरकार ने राज्य में प्राथमिक शिक्षकों के ग्रेड पे में लगभग एक साल पहले की गयी कटौती संबंधी अधिसूचना को फिलहाल स्थगित रखने का फैसला किया है। पटेल ने कहा, ‘सरकारी प्रस्ताव पर रोक लगाकर हमने 4200 रूपये का पुराना ग्रेड ही बहाल कर दिया था। पर धारणा यह बनाई गई कि सरकार ने वेतन ग्रेड बढ़ा दिया। कुछ ‘तत्व’ इसको लेकर कर्मचारियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें हेल्थ वर्कर्स को निशाना बनाया जा रहा है।’
बता दें कि गुजरात में पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के लिए पहली बार सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए आचार संहिता जारी की गई है। ये आचार संहिता इस कैंपेन को देखते हुए लगाई गई है। पुलिसकर्मी भी इस कैंपेन में बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं।