7th Pay Commission, 7th CPC Latest News, Government Employees: केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों का 1 जुलाई, 2021 से महंगाई भत्ता बढ़ा सकती है। कर्मचारियों को डीए एरियर पर निराशा हाथ लग सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार पिछले महीनों का एरियर जोड़कर न देने की प्लानिंग कर रही है।
एनडीटीवी में छपी एक खबर के मुताबिक सरकार महंगाई भत्ते का कॉस्ट इंडेक्शन करेगी और इसके बाद डीए की दर तय होगी। पिछले महीनों के लाभ के हिसाब से इसकी दर तय नहीं की जा सकती है।
मौजूदा समय में कर्मचारियों को 17 फीसदी की दर से डीए का भुगतान किया जा रहा है। कोरोना संकट के चलते कर्मचारियों के डीए बढ़ोत्तरी पर डेढ़ साल तक रोक लगा दी गई थी। बीते साल अप्रैल से ही कर्मचारियों को 17 फीसदी की दर से ही डीए दिया जा रहा है जबकि हर 6 महीने में डीए बढ़ोत्तरी होती है।
क्लेम करने के एक महीने के भीतर फैमिली पेंशन
केंद्र सरकार ने हाल में सभी विभागों को निर्देश दिया है कि मृतक परिवार द्वारा क्लेम करने के एक महीने के भीतर फैमिली पेंशन शुरू कर दी जाए। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया है। इसमें सभी विभागों को नियमों और निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है।
परिपत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी के चलते कई सरकारी कर्मचारियों की मृत्यु हुई है। कई कर्मचारी तो ऐसे थे जो कि परिवार में अकेले ही कमाने वाले थे। उनके परिवार को तत्काल पैसों की जरूरत है। ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत मिलने सभी फायदों को कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार को दिए जाएं। परिवार को एनपीएस के तहत कर्मचारी के योगदान और रिटर्न का भुगतान तय समय पर किया जाए।
वीआरएस ला सकते हैं ये दो सरकारी बैंक
केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की तैयारी में है। इसके साथ ही इनमें कार्यरत कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) प्लान पर भी काम चल रहा है। मीडिया में जारी खबरों की मानें तो सरकार आकर्षक वीआरएस पैकेज लाकर ऐसे कर्मचारियों को फायदा पहुंचानी चाहती है जो कि रिटायरमेंट से पहले ही रिटायर्ड होने की सोच रहे हैं।
मालूम हो कि बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव किया था। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया कुछ नाम हैं, जिनके प्राइवेटाइजेशन की चर्चा जोरों पर हैं।