जिस उम्र में बच्चे अपने भविष्य के बारें में सोचते हैं तो वहीं उस उम्र में लुधियाना की तान्या जैन दीक्षा अपनाने जा रही हैं। बता दें कि तान्या की बड़ी बहन मुस्कान भी 2015 में संन्यास ले चुकी हैं। बड़ी बहन के संन्यास से प्रभावित होकर तान्या ने भी ये फैसला लिया है। तान्या कहती हैं कि यह सांसारिक जीवन सिर्फ मोह माया के जाल में फंसा है। गौरतलब है कि तान्या दसवीं कक्षा की छात्रा है और 10 फरवरी को उनकी दीक्षा की रस्म संपन्न होगी।

तीन बहनों में से दो बहनें ले चुकी है संन्यासः तान्या के पिता अमरीक सिंह का लुधियाना में अपना कारोबार है। उनकी तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी प्रतिष्ठा तीसरी और तान्या पहली कक्षा में पढ़ रही थी जब उनके जानकार जिनेंद्र जैन के घर में उनका परिचय साध्वीगणों से हुआ। दोनों बहनें साध्वी के प्रवचनों से काफी प्रभावित हुई थी। दोनों ने बचपन से ही जैन धर्म का पालन करना शुरू कर दिया। इतनी छोटी उम्र में दोनों बहनों ने जैन धर्म के नियमों की पालना को लेकर अद्भुत रूचि थी।

इसे देखकर जैन साध्वीगण भी प्रभावित हुई। इसके बाद जैन साध्वीगण दोनों बहनों को लेकर उन्हें रायकोट स्थित जैन स्थानक पहुंची। जैन स्थानक रायकोट में ही दोनों बहनों ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। बड़ी बहन प्रतिष्ठा ने आठवीं कक्षा पूरी करने के बाद वैराग्य अपना लिया। वहीं छोटी बहन तान्या की नौ फरवरी को जैन धर्म के नियमों के अनुसार रायकोट स्थित एसएस जैन स्थानक में मेहंदी की रस्म होगी। 10 फरवरी को तान्या गुरूणी सुमन की शिष्या के रूप में दीक्षा लेंगी।

दीक्षा प्राप्ति के लिए देनी होती है परीक्षाः दरअसल जैन धर्म में दीक्षा मिलने से पहले दीक्षा संबंधी परीक्षा पास करनी होती है। इसे पास करने के लिए जैन धर्म का पूरा ज्ञान होना जरूरी होता है। परीक्षा पास करने के बाद ही दीक्षा देने का फैसला लिया जाता है। तान्या जैन शिक्षा के अंतर्गत प्रतिक्रमण, कर्मग्रंथ, नवत्व , 65 बोल , भक्तकाल स्त्रोत, सुखविपाक, गुणस्था और कंठस्थ का अध्ययन कर चुकी है।