जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पम्पोर इलाके में एक सरकारी इमारत में घुसे आतंकियों से लड़ते हुए शहीद होने वाले कैप्टन पवन कुमार के पिता को अपने इकलोते बेटे की शहादत पर गर्व है। सेना के एक प्रवक्ता ने कैप्टन पवन के पिता राजबीर सिंह के हवाले से कहा, ‘‘मेरे पास एक ही बेटा था और मैंने उसे सेना और राष्ट्र के लिए दे दिया। इस पर किस पिता को गर्व नहीं होगा।’’ प्रवक्ता ने कहा कि 22 वर्षीय अधिकारी हरियाणा के जींद के रहने वाले थे। वह तीन साल पहले सेना में शामिल हुए थे और हाल में उन्होंने दो कामयाब अभियानों में हिस्सा लिया था जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए थे।
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द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पवन जाट समुदाय से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी से डिग्री ली थी। बता दें कि पवन ने ऐसे वक्त में शहादत दी है, जब आरक्षण की मांग को लेकर जाट सड़कों पर हैं। वहीं, कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगने के बाद छात्रसंघ अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद जेएनयू भी विवादों में है। पवन के पिता ने बताया कि उनके बेटे का जन्म 15 जनवरी को हुआ था, जिस दिन आर्मी डे होता है। उसी वक्त भाग्य ने यह तय कर दिया था कि वह सेना को अपनी सेवाएं देगा। सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘वह बहुत बहादुर और निडर अधिकारी थे। वह सिर्फ तीन वर्ष ही सेवा में रहे लेकिन उनकी परिपक्वता को वर्षों में बांधा नहीं जा सकता है।’’ जाट आंदोलन की वजह से पवन का शव रविवार देर शाम तक उनके घर तक नहीं पहुंच सका।