पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत से कथित भारतीय जासूस की गिरफ्तारी से दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे की कूटनीति (बैक चैनल) पटरी से उतर सकती है क्योंकि ये दावे किए गए हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ही उसके ‘हैंडलर’ हैं। पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते दक्षिण बलूचिस्तान से रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के कथित जासूस कुलभूषण यादव को गिरफ्तार किया था। पाकिस्तान की सेना ने यादव का एक इकबालिया वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा कि वह भारतीय नौसेना के अधिकारी हैं।

पाकिस्तान अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक इस विवाद में डोभाल का नाम सामने आने के बाद सुरक्षा एवं आतंकवाद विषयक मुद्दों पर दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच की संवाद प्रणाली के रद्द हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सुरक्षा अधिकारियों ने दावा किया कि यादव के इकबालिया बयान से भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पाकिस्तान खासकर बलूचिस्तान में हिंसा भड़काने की रॉ की वर्तमान नीति के शिल्पी होने की पुष्टि हुई है।

सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल आसिम सलीम बाजवा ने मंगलवार को दावा किया था कि यादव को सीधे डोभाल निर्देश दे रहे थे। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक डोभाल के विरूद्ध इस गंभीर आरोप ने पाकिस्तान को उस व्यवस्था पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है जो दोनों देशों ने पर्दे के पीछे के उपायों के माध्यम से आतंकवाद निरोधक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पिछले साल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता में रखी थी। एक सुरक्षा अधिकारी ने सवाल किया कि क्या उस व्यक्ति से बातचीत करना उपयुक्त है जो पाकिस्तान में अस्थिरता फैलाने में सीधे शामिल है।

अखबार के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच की इस प्रणाली के रद्द होने से पूरी शांति प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है। भारत ने माना है कि यादव एक सेवानिवृत्त नौसैन्य अधिकारी हैं लेकिन उसने इस आरोप से इनकार किया है कि वह किसी भी प्रकार से सरकार से जुड़े हैं। अखबार के मुताबिक पाकिस्तान का प्रभावशाली सैन्य प्रतिष्ठान डोभाल की भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से अपनी चिंता व्यक्त कर चुका है। डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) नासिर खान जांजुआ दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने में अहम रहे हैं। हाल ही में जांजुआ ने आतंकवादी हमले के लिए भारत में कुछ आतंकवादियों के घुसपैठ करने की सूचना डोभाल को दी थी। वैसे दोनों देश विदेश सचिवों के बीच अहम बैठक की तारीख नहीं तय कर पाए जो पहले जनवरी में होनी थी लेकिन पठानकोट आतंकवादी हमले के बाद वार्ता रद्द हो गयी।