Viral Story: लड़कियों में पीरियड्स का आना ही यौवनावस्था का आरंभ होना माना जाता है। आमतौर पर लड़कियों में 11 से 13 साल की उम्र में पीरियड्स की शुरुआत हो जाती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यूपी के मिर्जापुर जिले में एक लड़की को 17 साल की उम्र तक माहवरी यानी पीरियड्स नहीं आए। लड़की के परिजनों को चिंता हुई तो वह अपनी बेटी को डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टर के पास जाने के बाद जो खुलासा हुआ वह चौंकाने वाला था।
डॉक्टरों की जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
डॉक्टर ने जब कुछ टेस्ट किए तो खुद डॉक्टर्स भी हैरान हो गए। डॉक्टरों की जांच में यह पता चल गया कि आखिर उस लड़की में 17 साल की उम्र तक भी पीरियड्स क्यों नहीं आए? उस रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ उसने न सिर्फ परिवार बल्कि डॉक्टरों को भी चौंका दिया। जांच में पता चला कि लड़की बाहर से तो पूरी तरह लड़की है, लेकिन अंदरूनी तौर पर उसका शरीर लड़कों की तरह विकसित हुआ है। इतना ही नहीं उस लड़की के अंदर पुरुषों के अंडकोष मौजूद हैं और बच्चेदानी भी नहीं है।
लड़की में निकली यह बीमारी
डॉक्टरों ने उस लड़की का जेनेटिक टेस्ट कराया और रिपोर्ट में सामने आया कि उसके शरीर में 46 एक्स वाई क्रोमोसोम हैं, जो कि लड़कों में पाए जाते हैं जबकि लड़कियों में 46 एक्स एक्स क्रोमोसोम होते हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि किशोरी को एंड्रोजन इंसेंसिटिविटी सिंड्रोम (Androgen Insensitivity Syndrome) नाम की एक दुर्लभ बीमारी है। इसी वजह से भले ही उसका बाहरी रूप लड़की जैसा है, लेकिन शरीर के अंदर पुरुषों जैसे गुण पाए गए।
इस बीमारी में क्या होता है?
इस बीमारी से पीडित लोग जेनेटिक रूप से पुरुष होते हैं, लेकिन उनके शरीर में पुरुषों के जननांग विकसित नहीं होते हैं, क्योंकि उनका शरीर पुरुष यौन हार्मोन एंड्रोजन के प्रति कोई रिएक्शन नहीं देता है। इसके चलते ही एडल्ट होने पर उनमें बांझपन भी पैदा हो सकता है।
एआईएस से पीड़ित शख्स में कुछ खास लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके तहत, यौवन के दौरान असामान्य रूप से लंबा कद होना, मासिक धर्म शुरू न होना, जेनाइटल एरिया में बाल या अंडरआर्म्स के बालों का बहुत कम या बिल्कुल न होना शामिल है।
क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक एंड्रोजन इंसेंसिटिविटी सिंड्रोम (AIS) एक जेनेटिक स्थिति है। यह बीमारी मां से बच्चे में जा सकती है। यह तब होता है जब एंड्रोजन रिसेप्टर (AR) जीन में कोई गड़बड़ी या खराबी होती है। एंड्रोजन रिसेप्टर असल में वो सेल्स होती हैं, जो शरीर को टेस्टोस्टेरोन जैसे पुरुष हार्मोन के प्रति रिएक्ट करने में सक्षम बनाती हैं।