उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने प्रधानमनंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने मोदी को फेकू, गप्पी भाई और फसक्या कहा है। ट्विटर पर उन्होंने लिखा है, “हमारे कुछ दोस्तों ने एक राजनेता को ‘फेकू’ कहा फिर कुछ लोगों ने उन्हें ‘गप्पी भाई’ कहा। ऐसे व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त पहाड़ी नाम ‘फसक्या’ है, पहचाने ये राजनेता कौन?” उनके ट्वीट करते ही कांग्रेस और बीजेपी समर्थक यूजर्स अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देने लगे लेकिन बीजेपी समर्थकों ने उन्हें ट्रोल कर दिया।
रावत को ट्रोल करते हुए एक यूजर ने लिखा है, “जब गद्दारो की टोली मे हाहाकार मचा हो,तो समझ लो देश का राजा चरित्रवान और प्रतिभा संपन्न है और राष्ट्र प्रगति पथ पर अग्रसर है!” दूसरे ने रावत पर निशाना साधते हुए लिखा है, “जरा बताएं तो वो घोषणा मंत्री कौन था जो दो दो विधानसभा से चुनाव हारा और ‘बेशर्मी तेरा ही सहारा ‘ की कहावत को चरितार्थ करने में लगा है ??” एक अन्य यूजर ने भी लिखा है, “इसे मानसिक दुर्बलता और गुलामी की बीमारी कहते हैं रावत जी जब हार सामने रहती है तो कांगिये इसी भाषा का प्रयोग करते हैं।” दूसरे यूजर ने लिखा है, “ओर एक नेता को हम #घोषणामंत्री भी कहते है।।” कुछ लोगों ने रावत का समर्थन भी किया है, “और किसी को हम चिम्पैंजी भी कहते है…”
बता दें कि सैनिकों संग दिवाली मनाने के बाद शुक्रवार (20 अक्टूबर) को पीएम मोदी केदारनाथ पहुंचे थे। छह महीने में यह उनकी दूसरी केदारनाथ यात्रा थी। इस मौके पर पूजा के बाद मोदी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बाबा का बेटा ही यहां विकास कर सकता है। उन्होंने केदारनाथ त्रासदी को याद करते हुए तत्कालीन कांग्रेस की उत्तराखंड और केंद्र सरकार पर काम नहीं करने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि त्रासदी के बाद केदारनाथ को फिर से पटरी पर लाने की उनकी कोशिश को राजनीतिक कारणों से कांग्रेस के लोगों ने साकार होने नहीं दिया।
हमारे कुछ दोस्तों ने एक राजनेता को 'फेकू' कहा फिर कुछ लोगों ने उन्हें 'गप्पी भाई' कहा। ऐसे व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त पहाड़ी नाम 'फसक्या'.. pic.twitter.com/e5PDzj07PT
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) October 23, 2017
https://twitter.com/BalamNegi11/status/922329201725734913
एक राजनेता को तो फेंकू कहते हैं, गप्पे बाज भी कहते हैं लेकिन सोनियां गाँधी जो कि कांगियों की राज माता बनी है उसे क्या कहते हो आप लोग?
— विजय नेगी (@india_ru) October 23, 2017
इसे मानसिक दुर्बलता और गुलामी की बीमारी कहते हैं रावत जी जब हार सामने रहती है तो कांगिये इसी भाषा का प्रयोग करते हैं
— विजय नेगी (@india_ru) October 23, 2017
ओर एक नेता को हम #घोषणामंत्री भी कहते है।।
— Priyanshu Tyagi (@priyanshutyag10) October 23, 2017
और किसी को हम चिम्पैंजी भी कहते है…
— Alok Saini (@ialoksaini) October 23, 2017
हमारे कुछ दोस्तों ने एक राजनेता को 'फेकू' कहा फिर कुछ लोगों ने उन्हें 'गप्पी भाई' कहा। ऐसे व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त पहाड़ी नाम 'फसक्या'.. pic.twitter.com/e5PDzj07PT
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) October 23, 2017
सही कहा सर आपने फास्क्या जिसका कोई ईमान नहीं होता जिसकी बातो पर सोचते नहीं
— journalist vipin (@vipinchanderapu) October 23, 2017
एकदम सही शब्द है देश की जनता अब समझ गई है ये फेंकू से कही आगे है
— Ramkishan Ojha (@RamkishanO) October 23, 2017