लगभग 69 साल बाद सोमवार रात को चांद को भारत के लिए धरती के सबसे करीब था। इस सप्ताह के अगल अगल दिन कई देशों में यह पहले ही हो चुका है और अभी कई देशों में ऐसा होना बाकी है। रात को आसमान में सितारा देखने के शौकीन लोगों के लिए यह नजारा बहुत खास होगा। इस खगोलीय घटना को सुपरमून का नाम दिया जा रहा है। जिसमें चांद और धरती के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है और चंद्रमा अपने पूरे शबाब पर चमकता दिखाई देता है। दुनिया के नॉर्थ अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में सोमवार तड़के सुपर मून नजर आया। भारत में सोमवार रात को सुपरमून दिखाई दिया। इस मौके पर ट्विटर पर सुपरमून ट्रेंड कर रहा था। लोगों ने सुपरमून को लेकर कई प्रकार के ट्वीट पोस्ट किए। कुछ ने  अपनी कुछ पिक्चर पर ट्वीटर पर पोस्ट की।

1948 के बाद यह पहली बार होगा जब इतना बड़ा और चमकीला चांद नजर आएगा। इसके बाद अब 2034 तक इस तरह का नाजारा देखने को नहीं मिलेगा। दुनिया के कई देशों में यह सुपर मून देखा जा चुका है और उसकी सांस थाम लेने वाली तस्‍वीरें भी सामने आई हैं। खगोलशास्त्र के विशेषज्ञ बता रहे हैं कि सोमवार रात को दिखने वाला चांद आम पूर्णमासी को दिखने वाले चांद की तुलना में 14 फीसद ज्यादा बड़ा और 30 फीसद तक ज्यादा चमकीला था। चांद की इस खूबसूरती को निहारने के लिए सूर्यास्त के बाद पूर्व दिशा में करीब आठ बजे के आस-पास देखिएगा। साल 1948 के बाद यह पहला मौका होगा जब चांद धरती के इतना करीब से गुजरेगा।

सुपर मून शब्द का पहली बार प्रयोग करीब 30 साल पहले एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोएल ने किया था। दरअसल, इस स्थिति में चंद्रमा धरती के काफी करीब आ जाता है क्योंकि धरती की कक्षा पूरी तरह से गोल न होकर दीर्धवत्ताकार है। जब चंद्रमा धरती के काफी करीब होता है, तो वह ज्यादा चमकीला और बड़ा दिखाता है, जिसे सुपर मून कहा जाता है। 25 नवंबर 2034 को भी एक्सट्रा सुपरमून की स्थिति बनेगी लेकिन 6 दिसंबर 2052 को यह 3 लाख 56 हजार 425 किमी की दूरी पर रहकर धरती के सबसे करीब होगा।

https://twitter.com/persrephones/status/798304395402285056

https://twitter.com/starryskyhowell/status/798265618818547712