आप बिजनेसमैन हैं, सैलरी क्लास हैं या फिर ट्रेनी, महीने की शुरुआत जितनी सुकून देने वाली होती है अंत उतना ही टेंशन देने वाला। हम बात कर रहे हैं महीने के आखिरी में होने वाली पैसों की तंगी की। आपने अक्सर लोगों को महीने के 15 या 18 तारीख को बोलते सुना होगा… यार मंथ लास्ट है, मंथ एंड है या महीने का आखिरी चल रहा है। इसका मतलब साफ है कि आपकी सैलरी खत्म हो गई है और अब बचे हुए दिन मुश्किल भरे गुजरने वाले हैं।
ये कहानी किसी विकी, सैंडी या जॉकी टाइप मस्त लाइफ जीने वाले कुछ यंग लड़कों की नहीं है, बल्कि इसकी चपेट में हर मिडिल क्लास, छोटा बिजनेसमैन या ट्रेनी है। हम इस सवाल पर बाद में आएंगे कि आखिर क्यों ‘मंथ एंड’ जैसी नौबत आती है। लड़के क्यों कड़की में जी रहे होते हैं और फक्कड़ सिंह बने घूमते हैं। पहले आप देखिए ये वीडियो जो यूट्यूब पर टॉप ट्रेंड में है और काफी फनी है।
मंथ एंड की कड़की पर बना ये वीडियो काफी मजेदार है, इसे अभी तक 11 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। इसके फनी पार्ट से हंसने के अलावा इसमें सीखने लायक एक करेक्टर भी है। सेविंग। आपने देखा कैसे बहुत जरूरी हालात में सेविंग काम आती है। इसी तरह फाइनैंस के जानकार बताते हैं कि कैसे आप हर महीने की कड़की से अपने को बचा सकते हैं।
आइए जानते हैं महीने की आखिरी वाली कड़की से बचने के 5 उपाय:
1-अपने खर्च का बजट बनाएं
सैलरी क्लास हों या फिर स्टाइपेंड पर निर्भर यंग जेनरेशन, पूरे महीने के खर्च के लिए बजट बनाना बेहद जरूरी है। अगर आप बजट बनाकर खर्च करेंगे तो आप हर जरूरी खर्च का पैसा पहले ही सुनिश्चित कर लेंगे ताकि मंथ एंड में फंसने या उधार लेने जैसी स्थिति नहीं होगी। कुछ फंड हर महीने अपने सैलरी से जरूर बचाएं ताकि फैमिली या फ्रेंड के साथ एंटरटेनमेंट या आपात स्थिति के लिए पैसे सुरक्षित हों।
2- जरूरत से ज्यादा खर्च से बचें
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे जरूरत से ज्यादा खर्च करते जाते हैं वो भी ये परवाह किए बिना कि उनका मंथ एंड जल्दी आ सकता है। इसलिए प्लान बजट के हिसाब से जरूरी खर्च करें इसके अलावा रोजमर्रा के खर्च में हिसाब से ही चलें। इससे मंथ एंड में आपके पास अच्छा बैलेंस रहेगा।
3- इमरजेंसी फंड सुनिश्चित करें
आपको याद होगा कि आपकी दादी, नानी या मां तकिए के खोल में, गद्दे के नीचे या फिर संदूक में पैसे छिपा कर रखती थीं। घर की सफाई के समय अक्सर वे नोट मिला करते थे। दरअसल उनकी मानसिकता बुरे वक्त के लिए पैसे बचाने की थी। वह फंडा आज भी बहुत काम का है। अगर आप सैलरी क्लास लाइफ जी रहे हैं तो आपको इमरजेंसी के लिए कुछ फंड हमेशा सुनिश्चित करना चाहिए।
4- प्राथमिकता तय करें
कई बार खर्च करते समय हमारा तरीका होता है कि जो जरूरत सामने आ रही है उसे फौरन खर्च करें। लेकिन अनुभवी और जानकार बताते हैं कि हमेशा खर्च करते समय प्राथमिकता तय करनी चाहिए। इससे मंथ एंड कड़की जैसी हालत नहीं आती। आपके पास हमेशा कुछ बैलेंस रहता है ताकि आप खुद को वित्तीय असुरक्षित नहीं महसूस करते।
5- क्रेडिट कार्ड या लोन पर बहुत भरोसा न करें
डिजिटल मनी के दौर में लोगों को डिजिटल लोन पर भी खूब भरोसा होने लगा है। ऐसे में यूथ क्रेडिट कार्ड या डिजिटल लोन लेने से ज़रा भी परहेज नहीं करते। नतीजा ये होता है कि अगले महीने की सैलरी आते ही आधा पैसा क्रेडिट कार्ड का बिल देने में चला जाता है। फिर आप पछताते हैं। यानी यहां महीना शुरू होते ही मंथ एंड आ गया। इससे बचना चाहिए।