वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर खूब विवाद हो रहा है। एक पक्ष का दावा है कि मस्जिद की जांच होने चाहिए, वहां मंदिर है जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि यहां कोई मंदिर नहीं है। मामला कोर्ट में चल रहा है और 14 अक्टूबर को कोर्ट के फैसले के मुताबिक मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं कराई जायेगी। इस मामले पर चर्चा के दौरान जब मौलाना हामिद नोमानी से सवाल पूछा गया कि मस्जिद के एक दीवार को मंदिर की तरह क्यों बनाया गया?

टाइम नाउ नवभारत एक शो के दौरान एंकर सुशांत सिन्हा ज्ञानवापी मस्जिद पर बहस कर रहे थे। उन्होंने मौलाना हामिद नोमानी से पूछा कि वहां कोई मंदिर नहीं, कोई नंदी नहीं, कोई शिवलिंग नहीं तो मस्जिद की एक दीवार को मंदिर की तरह क्यों बनाया गया? इस मौलाना हामिद नोमानी ने कहा कि 1784 के बाद जब पश्चिमी दीवार तक मस्जिद बना तो लगा कि ये गलत बना है तो उसे तोड़ा गया लेकिन ये दीवार नहीं तोड़ी गई।

इस पर उनसे पूछा गया कि आप कह रहे हैं कि मस्जिद पहले बना फिर मंदिर बना दिया गया वहां? जवाब में मौलाना ने कहा कि मंदिर तो बाद में अहिल्याबाई ने बनवाया है। मस्जिद के बगल में मन्दिर बन रहा था तो किसी ने रोका नहीं, यह पूछे जाने पर मौलाना कहा कि रोका गया था लेकिन ब्रिटिश दौर था तो मुसलमान कमजोर पड़ गए और मंदिर का निर्माण हो गया।

इस पर सुशांत सिन्हा ने कहा कि जब मंदिर बन गया था, एक दीवार है तो बाक़ी की तीन दीवार कहां गई? इसके जवाब में मौलाना ने कहा कि मंदिर तो वहीं है। रिजवान अहमद ने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि 1993 में जो पूजा रोकी गई थी, अगर उसे ना रोका गया होता तो विवाद ही ना होता! लेकिन ऐसा नहीं है। हिंदुओं को अपने महत्वपूर्ण टूटे हुए मंदिर वापस चाहिए। आप माता श्रृंगार गौरी की पूजा का एक धार्मिक लोलीपॉप देकर मंदिर से दूर नहीं कर सकते है। उन्होंने यह भी कहा है मस्जिद में मुसलमान उस जगह नमाज पढ़ रहा है जिसके पीछे माता शृंगार गौरी का स्थान है। मुसलमानों को यह सोचना चाहिए कि वहां की नमाज जायज है या नाजायज है।

वाराणसी कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका दायर कर मस्जिद परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या फिर किसी और वैज्ञानिक तरीके से जांच कराने की मांग की थी ताकि उसकी सही उम्र का पता लगाया जा सके। कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। मिली जानकारी के मुताबिक़ कोर्ट ने कहा कि कार्बन डेटिंग या फिर किसी अन्य तरीके से वैज्ञानिक जांच कराये जाने पर “शिवलिंग” को क्षति पहुंच सकती है। बता दें कोर्ट ने वजूखाना को सील कर दिया है।