अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) के मसले पर महिला पत्रकार सागरिका घोष ने सवाल उठाए। पूछा कि सरकार ने आखिर पुनर्विचार याचिका देने में देरी क्यों की। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इसी पर महिला पत्रकार पर पलटवार किया। कहा कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं है। यह विषय वह (सागरिका) उनके लिए ही छोड़ दें।
बता दें कि आज (तीन अप्रैल) एससी-एसटी एक्ट के मसले पर सुप्रीम कोर्ट खुली अदालत में सुनवाई करेगा। कोर्ट में करीब दो बजे यह सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार ने सोमवार (दो अप्रैल) को कोर्ट में इस संबंध में एक पुनर्विचार याचिका दी थी, जिस पर कोर्ट ने हामी भरी है। सीजेआई ने इसके लिए जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू.यू.ललित की अगुआई में बेंच का गठन किया है।
SC/ST एक्ट: सरकार की पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करेगा SC
सागरिका घोष ने इसी पर सोमवार (दो अप्रैल) को ट्वीट किया था। लिखा, “सुप्रीम कोर्ट एक महीने पहले से एससी-एसटी एक्ट पर सुनवाई कर रहा है। मोदी सरकार इस पर क्यों ध्यान नहीं दे रही थी? सरकार ने आज इस स्थिति का इंतजार करने के बजाय तब क्यों आवाज नहीं उठाई थी? सरकार ने आखिर तब पुनर्विचार याचिका क्यों नहीं दी थी?”
SC ruling on SC/ST Act was a month ago. Why did Modi sarkar not take note, voice its respectful dissent and file a review petition then and there instead of waiting until today?? As usual, 21st century governance eludes Modi sarkar busy with its Vedic Age fantasias
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) April 2, 2018
भाजपा के नेता ने इसी पर महिला पत्रकार को जवाब दिया। कहा, “आप फिर से गलत हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला 20 मार्च 2018 को आया था। सरकार ने पुनर्विचार याचिका दो अप्रैल को दी। ऐसे में सिर्फ 12 दिन हुए हैं, जिसे जल्दी ही कहा जाएगा।”
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Again wrong ☺️ SC judgment was delivered on 20.3.18, Review petition was filed by the Govt on 2.4.18. That is 12 days, which is very prompt.
You know nothing about the law and procedure so pls leave the subject to law literate people.
As for the Vedas we are proud of it. https://t.co/icLpBIybPc
— Gaurav Bhatia गौरव भाटिया ?? (Modi Ka Parivar) (@gauravbhatiabjp) April 3, 2018
भाटिया ने इसी ट्वीट में आगे लिखा था, “आपको (सागरिका) कानून और उससे जुड़ी प्रक्रियाओं के बारे में कुछ भी नहीं पता है, लिहाजा यह विषय आप कानून के जानकार और पढ़े-लिखे लोगों के लिए छोड़ दें।”