पाकिस्तान के कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना और भारतीय जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर संसद में लगी हुई है। एएमयू विवाद के बाद इस तस्वीर को हटाने की भी मांग सोशल मीडिया पर जोर पकड़ रही है। ट्विटर पर यह भी मांग देखी जा रही है कि मुंबई स्थित जिन्ना हाउस और अंग्रेजों की गुलामी का अहसास कराने वाले सभी प्रतीकों को हटा देना चाहिए। एक यूजर ने यहां तक दावा किया कि मुस्लिमों से ज्यादा बीजेपी और संघ का जिन्ना के साथ मजबूत रिश्ता था और श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जिन्ना के साथ चुनावी गठबंधन था। एक यूजर ने जिन्ना विवाद पर ट्वीट में दावा किया कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 3000 एकड़ जमीन दान की थी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए,उनकी तस्वीर लगाने से मना कर दिया था इसी छात्र संघ के गुंडो ने। आज जिन्ना की तस्वीर की हिफाजत कर रहे हैं। ये सब गलती राजा साहब की थी, जिहादी मानसिकता वालों को पढ़ाने की सोची, जिहाद पढ़ लिया। इसके जवाब में एक और यूजर ने संसद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ जिन्ना की तस्वीर लगी होने का दावा करते हुए उसे हटाने के लिए कहा।

बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के यूनियन हॉल में लगी जिन्ना की तस्वीर को लेकर विवाद चल रहा है। यहां तस्वीर के 1938 से लगे होने का दावा किया जा रहा है। बतौर यूनिवर्सिटी जिन्ना को आजीवन मानद उपाधि से नवाजा गया था। वहीं इस हफ्ते की शुरुआत में अचानक बीजेपी सांसद सतीश गौतम और महेश गिरी ने विश्वविद्यालय में लगी जिन्ना की तस्वीर पर एतराज जताया था। महेश गिरी ने ट्वीट में लिखा था- ”जिन्ना का फोटो 2018 में एएमयू छात्रसंघ हॉल में लगा होना उसी मानसिकता का परिचायक है जिसने पाकिस्तान को जन्म दिया, फिर सिमी जैसे आतंकि संगठन को पनपने दिया व मन्नान वानी को देश के खिलाफ बंदूक उठा लेने को उकसाया। एएमयू के करिकुलम से लेकर अपॉइंटनमेंट्स तक में पारदर्शिता की आवश्यकता है।”

2 मई को विश्वविद्यालय में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के कार्यक्रम के दौरान परिसर के गेट पर जिन्ना की तस्वीर हटाने को लेकर कथित तौर पर नारेबाजी की गई थी, जिसके जवाब में छात्र भी सड़क पर उतरे और दो गुटों में हुई कथित झड़प को रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। इसमें कुछ छात्र गंभीर रूप से घायल बताए गए थे। इसके बाद भी मामले को लेकर हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई हैं। सोशल मीडिया पर एक वर्ग इसे जानबूझकर जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला मामला भी करार दे रहा है।