सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (5 दिसंबर) को अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पैरवी करते हुए अदालत में दलील दी कि अयोध्या मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद की जाए। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए 8 फरवरी, 2018 को अगली सुनवाई का तारीख तय कर दी। अब मीडिया में इस बात पर बहस छिड़ी हुई है कि कपिल सिब्बल ने बतौर वकील जो कुछ अदालत में कहा क्या वह कांग्रेस की राय है?
न्यूज 18 इंडिया के शो आरपार में जब ब यही सवाल मुस्लिम वकील सैयद रिजवान से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जैसे मौसम का बदलना तय है कि गर्मी के बाद बारिश आएगी, बारिश के बाद पतझड़ फिर सर्दी, उसी तरह यह भी तय है कि मंदिर वहीं बनेगा जहां रामलला पैदा हुए थे। रिजवान ने आगे कहा कि अगर देश के मुसलमान अड़ंगा लगाएंगे, लड़ाई लगाएंगे तो इस देश में आंधी-तूफान आएगा और उस तूफान में सबसे ज्यादा आम मुसलमान मारे जाएंगे। रिजवान ने कहा कि जब आंधी-तूफान चलेगा तो यह कपिल सिब्बल या अखिलेश सिंह उन्हें बचाने नहीं आएंगे। उनका विरोध करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती अरशद कासमी ने उन पर धमकी देने और मुसलमानों को डराने का आरोप लगाया।
'आर पार' @AMISHDEVGAN @sambitswaraj @VijayVst0502 @DrRizwanAhmed1 कपिल सिब्बल नहीं आएँगे मुस्लिम को बचाने pic.twitter.com/I5fSAYU0Bu
— News18 India (@News18India) December 5, 2017
बता दें कि उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ ने इस प्रकरण के सभी एडवोकेट्स आन रिकार्ड से कहा कि वे एक साथ बैठकर यह सुनिश्चित करें कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दाखिल करने से पहले सभी जरूरी दस्तावेजों का अनुवाद हो गया हो और उनपर संख्या लिखी जा चुकी हो। इस मामले में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर वकीलों को रजिस्ट्री से संपर्क करने का निर्देश दिया गया है।