हाल ही में मिस तिब्बत चुनी गई तेनजिंग सांगनई को इन दिनों इंटरनेट पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। 21 साल की तेनजिंग को तिब्बती भाषा न आने के चलते लोगों के ताने सुनने पड़ रहे हैं। मनाली की रहने वाली तेनजिंग को तीन सप्ताह पहले मिस तिब्बत का खिताब मिला था। आलोचनाओं से परेशान तेनजिंग को फेसबुक पर पोस्ट कर लोगों से उन्हें एक मौका देने की विनती की अपील करनी पड़ी।

फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि वह तिब्बती शरणार्थी परिवार की संतान हैं। यहां पर उन्हें तिब्बती बोलने वाले लोगों का माहौल नहीं मिला। हाल ही में उन्हें काफी सारे तिब्बती लोगों से मिलने का मौका मिला। अंत में उन्होंने लिखा कि तिब्बतियों को एक होकर रंग, छवि या बोलने के आधार पर किसी को निशाना नहीं बनाना चाहिए। इसके बजाय उनका हौंसला बढ़ाना चाहिए जिससे कि वे इन कमियों को दूर कर सके।
इससे पहले तेनजिंग का इंटरनेट पर काफी मखौल उड़ाया गया। एक व्यक्ति ने लिखा, ”बिना बेसिक तिब्बती भाषा जाने कैसे किसी को तिब्बतह महिलाओं की सुंदरता का प्रतिनिधित्व करने का मौका दे दिया गया। यह तो मजाक और पूरी तरह से गलत।” एक अन्य ने फेसबुक पर लिखा, ”तुम्हारी टूटी-फूटी और मिलीजुली भाषा तुम्हे कहीं नहीं ले जाएगी। यदि तुम तिब्बती लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकती तो तुम मिस तिब्बत नहीं हो।”

मिस तिब्बत प्रतियोगिता का आयोजन हिमाचल प्रदेश के मैक्लॉयडगंज में किया जाता है। इसकी शुरुआत साल 2002 से हुई थी। हालांकि पहले इसका काफी विरोध हुआ था। लोगों का कहना था कि यह स्थान दलाई लामा से जुड़ा हुआ है, इसलिए यहां पर ऐसा नहीं होना चाहिए। तीन दिन तक चले वाले इस कार्यक्रम में पहले दिन स्विमसूट राउंड होता है। दूसरे दिन टॉक एंड टैलेंट राउंड और फिर आखिरी दिन प्रतियोगी कैजुअल कपड़ों, इवनिंग गाउन, पारंपरिक पोशाक में पेश होते हैं। आखिर में सवालों के जवाब दिए जाते हैं। इसके आधार पर विजेता का चुनाव किया जाता है।

शुरुआत से ही यह प्रतियोगिता विवादों में रही। पहले के चार साल तो केवल एक ही लड़की शामिल होती। इसके कारण मुकाबला होता ही नहीं है। वहीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के दौरान चीन आपत्ति जताता। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश नहीं मिलता। हालांकि इस बार पिछली बार की तुलना में अच्छी शुरुआत रही। चार लड़कियों ने आवेदन किया। साथ ही दिल्ली में रहने वाले एक तिब्बती कारोबारी ने इनाम के रूप में एक लाख रुपये दिए। वहीं एक स्थानीय ज्वैलर ने चांदी का ताज दिया।