पेरोल पर बाहर आए गुरमीत राम रहीम विवादों में हैं। बार-बार पेरोल मिलने पर कई लोगों ने सवाल उठाया, साथ ही बीजेपी नेताओं के राम रहीम के दरबार में पहुंचने पर भी तंज कसे जा रहे थे। इसी बीच अब पंजाब सरकार के एक मंत्री का वीडियो सामने आया है जिसमें वह डेरा सच्चा सौदा के आश्रम में पहुंचते दिखाई दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल है।

पंजाब सरकार के मंत्री का वीडियो वायरल

पत्रकार गगनदीप सिंह ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें दिखाई दे रहा है कि पंजाब के कैबिनेट मंत्री फौजा सिंह सरारी फिरोजपुर जिले के डेरा सच्चा सौदा ‘नाम चर्चा घर’ में पहुंचे, जहां उन्हें सम्मानित भी किया गया। डेरा से जुड़े लोगों का कहना है कि कुछ परेशानी उन्हें बतानी थी तो वह उससे सुनते हुए डेरा के अन्दर आ गए। किसी तरह का कोई स्पेशल प्रोग्राम नहीं रखा गया था।

लोगों की प्रतिक्रियाएं

सोशल मीडिया पर लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए AAP पर तंज कस रहे हैं। समाज सेविका योगिता भयाना ने लिखा कि यह सब देख पीड़ित परिवार पर क्या बीतता होगा? कैसे एक बलात्कारी के आगे नेता झुके हुए हैं, अब पंजाब के कैबिनेट मंत्री फौजा सिंह! सब के सब मिले हुए है, अब समझ आया कैसे पैरोल मिल रही है।

एक यूजर ने लिखा कि जब भारत जोड़ो यात्रा की घोषणा की गई थी। मैं हंस रहा था क्योंकि इससे पंजाब सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं भी आग्रह करता हूँ कांग्रेस पंजाब नेताओं से कि इस पर कड़ा रुख अख्तियार करना चाहिए, नहीं तो हमें महिला सशक्तिकरण और अधिकारों के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। बलात्कारी का सम्मान नहीं होना चाहिए।

@Shubham70658975 यूजर ने लिखा कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को बिलकिस बानों का केस पर कुछ बोलने से पहले उन्हें इस पर सफाई देनी चाहिए कि बलात्कार के दोषी के डेरा में पंजाब सरकार का मंत्री क्यों गया? फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने लिखा कि इस घिनौने आदमी /बलात्कारी राम रहीम को सिर्फ़ और सिर्फ़ जेल में होना चाहिए था। लेकिन शर्मनाक सच ये है कि ऐसे विकृत व्यक्ति के पास मंत्रियों की लाइन लगी हुई है। ये सब क्या हो रहा है?

बता दें कि गुरमीत राम रहीम को ऐसे समय में पेरोल मिली है, जब हरियाणा में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। राम रहीम को मिले पेरोल को चुनाव से जोड़ कर इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में राम रहीम के भक्त बड़ी संख्या में है। इससे राजनीतिक दलों को फायदा होने की पूरी संभावना रहती है।