माइक्रोसॉफ्ट ने अपने वेब ब्राउजर ‘इंटरनेट एक्सप्लोरर’ की सेवानिवृत्ति की घोषणा की। इसकी जगह ‘इंटरनेट एज’ के रूप में 15 जून 2022 तक के लिए नया उत्पाद पेश किया। वेब के ताजा रुख पर नजर रखने वालों को ‘इंटरनेट एक्सप्लोरर’ के अंतिम पतन के बारे में पहले से ही अनुमान था, लेकिन इस संबंध में एकदम ताजा जानकारी न रखने वालों के लिए यह एक अवांछित आश्चर्य का कारण हो सकता है। वैसे ज्यादातर के लिए यह कोई धमाकेदार खबर नहीं थी।

लगभग हर कोई गूगल पर सर्च करने के लिए बनाए गए शब्द ‘गूगलिंग’ से परिचित है, लेकिन ‘माइक्रोसॉफ्टिंग’ जैसी कोई चीज नहीं है। ऐसे में गूगल वेब खोज का पर्याय कैसे बन गया, जबकि माइक्रासाफ्ट अपने लंबे और अग्रणी इतिहास के बावजूद, किसी भी चीज का पर्याय बनने में विफल रहा? इसका जवाब है बाजार की हिस्सेदारी। कुल वेब सर्च में गूगल का हिस्सा 92.24 फीसद है- एक दिन में 3.5 अरब से अधिक खोज। माइक्रोसॉफ्ट के अपने सर्च इंजन बिंग में यह मात्र 2.29 फीसद है।

माइक्रोसाफ्ट कभी छोटा खिलाड़ी नहीं था। जब वेब अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, तब यह बाजार में अग्रणी था। यही वह समय था जब माइक्रोसाफ्ट ने ‘व्यक्तिगत कंप्यूटर’ को और अधिक व्यक्तिगत बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए मैदान में कदम रखा। 1995 में ‘इंटरनेट एक्सप्लोरर’ के जारी होने के समय तक, बहुत अच्छे डिजाइन और अधिक सहज अंतराफलक (इंटरफेस) के साथ, माइक्रोसॉफ्ट ने खुद को डिजिटल दुनिया में सबसे आगे रखा। लेकिन अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने के बाद, माइक्रोसॉफ्ट ने ‘इंटरनेट एक्सप्लोरर’ के विकास को आगे बढ़ाना बंद कर दिया।

वह विंडोज में लगातार सुधार कर रहा था लेकिन वेब ब्राउजर में नहीं। उस समय से ‘इंटरनेट एक्सप्लोरर’ हमेशा पिछड़ता रहा फिर चाहे वह टैब्ड ब्राउजिंग हो या सर्च बार जैसे नवाचार। यह लगातार अप्रासंगिक होता चला गया और इसी वजह से इसका प्रचलन भी घटता रहा। (द कन्वरसेशन)