Michael Dertouzos Google Doodle: सर्च इंजन गूगल ने कम्प्यूटर की दुनिया के सबसे बड़े जानकारों में से एक माइकल डर्टौज़ोस के सम्मान में आज (5 अक्टूबर, 2018) को एक खास डूडल बनाया है। डर्टौज़ोस की आज 82वां जन्मदिन है। डर्टौज़ोस की काबिलियत को इसी बात से समझी जा सकती है कि उन्होंने ही इंटरनेट के पहले स्वरूप को ईजाद करने वाले टिम बर्नर्स ली को नियुक्त किया था। एमआईटी में प्रोफेसर रहे डर्टौजोस 27 वर्षों तक रहे कंप्यूटर लैब के निदेशक पद पर रहे थे। उन्होंने वर्ष 2001 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक विकसित करने के लिए एमआईटी से गठजोड़ किया था। इसका उद्देश्य यह था कि कंप्यूटर ज्यादा से ज्यादा मानवता के लिए काम आ सके। उन्होंने एमआईटी से ही पीएचडी की डिग्री ली थी और यहीं पढ़ाना भी शुरू कर दिया था। वह स्कॉलरशिप पर पढ़ाई करने अमेरिका गए थे। गूगल ने उनका एक कार्टून शेयर किया है। कार्टून में नजर आ रहे हैं डर्टौज़ोस के एक हाथ में चॉक है और दूसरा हाथ जेब में है। वह बोर्ड पर कुछ लिख रहे हैं। कार्टून में इसके अलावा कम्प्यूटर से जुड़े अन्य उपकरणों को भी शेयर किया गया है।
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीज लेबोरेटरी फॉर कम्प्यूटर साइंस के पूर्व डायरेक्टर माइकल डर्टौज़ोस ने पहले ही भविष्यवाणी कर बता दिया था कि कम्प्यूटर इंसानों के लिए कितना मददगार हो सकता है। ये आधुनिक मशीन इंसानों के बहुत काम आ सकती है। डर्टौज़ोस ने ही अपने निजी कम्प्यूटर के बारे बताया था कि यह अपनी क्षमता से ज्यादा काम करता है।
कम्प्यूटर के भविष्य को उन्होंने सालों पहले ही देखते हुए बता दिया था कि इंटरनेट कैसे लोगों की जिंदगी प्रभावित कर सकता है। ये बात उन्होंने इंटरनेट के अविष्कारक सर टिमोथी जॉन बर्नर्स-ली की भर्ती के दौरान कही। ये भर्ती वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम (W3C) को चलाने के लिए की गई। W3C, वेब दुनिया के विकास में काम करने वाली कंपनियों का अलायंस है। डर्टौज़ोस एमआईटी लैबोरेटरी ऑफ कंप्यूटर साइंस में 1974 से 2001 के बीच डायरेक्टर के पद पर रहे थे।
माइकल डर्टौज़ोस के मार्गदर्शन पर ही मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीज (MIT) लेबोरेटरी फॉर कम्प्यूटर साइंस एक संपन्न रिसर्च सेंटर के रूप में उभरा और सैकड़ों लोगों को रोजगार मुहैया दिलाने में खासी मदद की। Michael Dertouzos का जन्म 5 नवंबर, 1936 को ग्रीक के एथेंस में हुआ था और 27 अगस्त, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका में उनका निधन हो गया था।

Highlights
डर्टौज़ोस ने एथेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ अरकनसास में फुलब्राइट स्कॉलरशिप की। बाद में मैसाचूसट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एमआईटी) से PHD की।
माइकल डर्टोजस ने सी लेविस और डॉक्टर हबर ग्राहम के साथ मिलकर कंप्युटेक, Inc. जैसी टेक्नोलॉजी को बनाया था। कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में काफी लंबे समय तक काम करने के बाद 27 अगस्त 2001 को अमेरिका में उनका निधन हो गया था।
माइकल डर्टौज़ोस एमआईटी लैबोरेटरी ऑफ कंप्यूटर साइंस में 1974 से 2001 के बीच डायरेक्टर के पद पर रहे थे।
माइकल डर्टौजोस ने दशकों पहले इंटरनेट को लेकर भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था कि एक दिन इंटरनेट इंफॉर्मेशन मार्केटप्लेस बन जाएगा। बद में हुआ भी यही। आज के दिन इंटरनेट सूचना के साथ ही अर्थव्यस्था के लिए भी रीढ़ बन चुका है। मौजूदा समय में इंटरनेट के बिना इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
माइकल डर्टौजोस चाहते थे कि कंप्यूटर हमारे वातावरण का हिस्सा बने। इस बाबत उन्होंने वर्ष 2001 में एमआईटी के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक विकसित करने के लिए गठजोड़ किया था। इसके तहत ऐसी टेक्नोलॉजी बनाने की योजना थी, जिससे कंप्यूटर मानवता के हित में ज्यादा से ज्यादा काम आ सके।
माइकल डर्टौजोस ने कंप्यूटर जगत कई ऐसी तकनीक दी, जिससे भविष्य में उसके योगदान की रूपरेखा तैयार हुई। उन्होंन ArpaNet के साथ ही डिस्ट्रीब्यूटेड सिस्टम और टाइम-शेयरिंग कंप्यूटर्स का आविष्कार किया था। हालांकि, उन्हें इंटरनेट के महत्व को समय से पहले पहचानने के लिए जाना जाता है। माइकल ने दशकों पहले बता दिया था कि आने वाले समय में इंटरनेट किस तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदल देगा।
माइकल डर्टौजोस ने कंप्यूटर के जरिये सुरक्षित संवाद से जुड़ी तकनीक ईजाद करने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने एमआईटी में कंप्यूटर लैब के निदेशक के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी थीं। इस दौरान ही उन्होंने RSA का ईजाद किया था। यह एक एलगोरिथम है, जिसका इस्तेमाल कर कंप्यूटर डेटा को सुरक्षित तरीके से ट्रांसमिट किया जा सकता है।
माइकल डर्टौजोस की काबिलियत इसी बात से समझी जा सकती है कि उन्होंने इंटरनेट के जन्मदाता कहे जाने वाले टिम बर्नर्स ली को नियुक्त किया था। बाद में ली ने वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम का नेतृतव किया था। बर्नर्स ली ने एक बार कहा था कि यदि माइकल डर्टौजोस नहीं होते तो वर्ल्ड वाइड वेब की संभावना भी शायद ही होती।
कम्प्यूटर साइंस के इस महान वैज्ञानिक का महज 64 वर्ष की उम्र में ही निधन हो गया था। माइकल डर्टौजोस ने मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में 27 अगस्त को आखिरी सांस ली थी। उन्हें एथेंस के फर्स्ट सिमेट्री में दफनाया गया था।
माइकल डर्टौजोस अध्ययन-अध्यापन के अलावा कंप्यूटर तकनीक से जुउ़े अन्य क्षेत्र में भी सक्रिय थे। इसके तहत उन्होंने वर्ष 1968 में अपनी कंपनी स्थापित की थी। नई कंपनी का नाम उन्होंने कंप्यूटेक रखा था। इसके अलावा उन्होंने इंटेलिजेंट टर्मिनल भी बनाई थी। इसमें मार्विन लुइस और डॉक्टर हुबर ग्राहम उनके सहयोगी थे।
कंप्यूटर साइंटिस्ट माइकल डर्टौजोस ने तकनीक को मानवता से अलग करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि 300 साल पहले तकनीक को मानवता या मानववाद से अलग कर हमलोगों ने बड़ी गलती की थी। उन्होंने दोनों को साथ करने पर भी जोर दिया था।
कंप्यूटर साइंटिस्ट माइकल डर्टौजोस ने कॉलेज की शुरुआती पढ़ाई एथेंस कॉलेज से की थी। ग्रैजुएशन करने के बाद वह स्कॉलरशिप पर पढ़ाई करने के लिए अमेरिका चले गए थे। यहीं से उनके कॅरियर में बदलाव आना शुरू हुआ था। उन्होंने वर्ष 1964 में एमआईटी से पीएचडी की डिग्री ली थी। इसके बाद वहीं पढ़ाना भी शुरू कर दिया था।
कंप्यूटर साइंटिस्ट माइकल डर्टौजोस का नाम दुनिया के बेहतरीन वैज्ञानिकों में होता है। वह एमआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर थे। इसके अलावा वह एमआईटी के ही कंप्यूटर साइंस लैब के डायरेक्टर भी थे। वह 27 वर्षों तक इस पद पर बने रहे थे। इस दौरान उन्होंने कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में कई शोध किए। उन्होंने एनक्रिप्शन से भी लोगों को रूबरू कराया था।
कंप्यूटर साइंटिस्ट माइकल डर्टौजोस का नाम दुनिया के बेहतरीन वैज्ञानिकों में होता है। वह एमआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर थे। इसके अलावा वह एमआईटी के ही कंप्यूटर साइंस लैब के डायरेक्टर भी थे। वह 27 वर्षों तक इस पद पर बने रहे थे। इस दौरान उन्होंने कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में कई शोध किए। उन्होंने एनक्रिप्शन से भी लोगों को रूबरू कराया था।
एमआईटी लैबोरेटरी ऑफ कंप्यूटर साइंस के डायरेक्टर रहने तक माइकल डर्टौज़ोस ने RSA encryption, the spreadsheet, the NuBus, the X Window System, और इंटरनेट पर काफी काम किया।
कम्प्यूटर का भविष्य उन्होंने सालों पहले ही बता दिया था कि इंटरनेट कैसे लोगों की जिंदगी प्रभावित कर सकता है। ये बात उन्होंने इंटरनेट के अविष्कारक सर टिमोथी जॉन बर्नर्स-ली की भर्ती के दौरान कही थी। ये भर्ती वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम (W3C) को चलाने के लिए की गई। W3C, वेब दुनिया के विकास में काम करने वाली कंपनियों का अलायंस है। डर्टौज़ोस एमआईटी लैबोरेटरी ऑफ कंप्यूटर साइंस में 1974 से 2001 के बीच डायरेक्टर के पद पर रहे थे।
दुनिया में कम्प्यूटर के विकास के लिए माइकल डर्टौज़ोस को श्रेय तो जाता ही है, इसके अलावा कम्प्यूटर के तकनीकी पहलुओं पर भी उन्होंने दशकों पहले खूब काम किया। आपको जानकर हैरानी होगी की जिस स्प्रेडशीट पर हम काम करते हैं उसका अविष्कार डर्टौज़ोस ने ही किया था। इसके जरिए उन्होंने गुणा-भाग करने की पूरी तकनीक में आधुनिक परिवर्तन ला दिया।
इसे कहते हैं स्प्रेडशीट
डर्टौज़ोस ने एथेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ अरकनसास में फुलब्राइट स्कॉलरशिप की। बाद में मैसाचूसट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एमआईटी) से PHD की।
उस वक्त उन्होंने कहा था कि हमने तीन सौ साल पहले गलती की थी जब तकनीक और मानवतावाद को अलग किया गया। मगर अब वक्त आ गया है कि दोनों को एक साथ लाया जाए। इसके लिए डर्टौज़ोस ने खुद कम्प्यूटर के इस्तेमाल और इसकी अपार संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए खूब मेहनत की। एमआईटी लैबोरेटरी ऑफ कंप्यूटर साइंस के डायरेक्टर रहने तक उन्होंने RSA encryption, the spreadsheet, the NuBus, the X Window System, और इंटरनेट पर काफी काम किया।