Sitara Devi 97th Birthday: कथक नृत्य के जरिए पूरे विश्व में अलग पहचान बनाने वाली सितारा देवी के 97वें जन्मदिन के मौके पर गूगल बेहद ही शानदार डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। रवींद्र नाथ टैगोर ने जिस कथक नृत्यांगना को ‘नृत्य साम्राज्ञी’ कहा था उस सितारा देवी का जन्म आज से 97 साल पहले 8 नवंबर 1920 में कोलकाता में हुआ था। महज 16 साल की उम्र में ही सितारा देवी ‘नृत्य साम्राज्ञी’ कहलाई गईं। कथक नृत्य के जरिए सितारा देवी ने 6 दशकों तक देश-विदेश में नाम कमाया और भारत का परचम लहराया। 60 सालों तक कई बड़े-नामी कार्यक्रमों में, कॉन्सर्ट्स में कथक नृत्य की प्रस्तुति देकर सितारा देवी सभी का मन जीतती रहीं। उन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल और न्यूयॉर्क के कार्नेगी हॉल में नृत्य की प्रस्तुति देकर विदेशों में भारत का नाम रोशन किया।

लिजेंड्री डांसर सितारा देवी ने कई कॉन्सर्ट्स में प्रस्तुति देने के साथ-साथ कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया। चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर मुंबई पहुंची सितारा देवी ने ‘औरत का दिल’ फिल्म से डेब्यू किया था। उसके बाद उन्होंने ‘मुगल-ए-आजम’ फिल्म के डायरेक्टर के आसिफ की फिल्म ‘फूल’ में काम किया। सितारा देवी ने के आसिफ से शादी भी की। उन्होंने तीन शादियां की थीं, पहली शादी नाजीर अहमद खान से, दूसरी शादी के आसिफ से। आसिफ से शादी टूटने के बाद उन्होंने तीसरी शादी प्रताप बरोट से की।

सितारा देवी के पिता सुखदेव महाराज खुद कथक नृत्य सिखाते थे। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि सितारा देवी को कथक नृत्य अपने पिता से विरासत में मिला। सुखदेव ने ही अपनी बेटी को नृत्य सिखाया। क्लासिकल डांस फॉर्म्स की बात करें तो सितारा देवी का नाम बहुत ही बड़ा है। 2009 में द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में सितारा देवी ने कहा था, ‘हमारे घर से जब घुंघरू की आवाज आती थी, तब लोग काफी डर जाते थे, क्योंकि तवायफ ही घुंघरू पहनकर नृत्य किया करती थीं, लेकिन मेरे पिता ने साफ कह दिया था कि उनकी बेटी घर के काम नहीं करेगी, बर्तन नहीं धोएगी, वह नृत्य करेगी। उस वक्त मेरे पिता की बातें सुनकर लोग कहते थे, तो क्या मुजरा करेगी?… अगर मैं मर गई, या कल को बिरजू महाराज का देहांत हो गया तो पता नहीं कहीं कथक का अंत ना हो जाए।’

बता दें कि सितारा देवी को अपनी कला और नृत्य के प्रति उनके विशेष योगदान के लिए 1970 में ‘पद्मश्री’ और 1994 में ‘कालिदास सम्मान’ से पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा 1969 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। वहीं 2002 में उन्होंने ‘पद्मभूषण’ सम्मान लेने से इनकार कर दिया था। न्यूज एजंसी पीटीआई के मुताबिक, इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा था कि वह भारत रतन से कम कोई अवॉर्ड नहीं लेंगी। शोहरत और कामयाबी का लंबा सफर तय करते हुए उन्होंने 94 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। 25 नवंबर, 2014 को जसलोक अस्पताल में उनका निधन हो गया था। सितारा देवी कई फिल्मों में भी परफॉर्म कर चुकी थीं। फिल्म नगीना (1951), रोटी, वतन (1954) और अंजली (1957) में उन्होंने परफॉर्म किया था।